अमेठी में किसानों की बेचैनी: समितियों खाली और चार बड़े IFFCO केंद्रों पर नहीं है खाद|

स्थिति का जायज़ा — IFFCO केंद्रों व समितियों पर खाद का अभाव

अमेठी जिले में इस वर्ष खेतों में बोआई के समय किसानों को खाद की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। सप्ताह दर सप्ताह स्थानीय मीडिया में यह खबर आ रही है कि गाँव-गाँव में स्थित सहकारी समितियों तथा IFFCO केंद्रों पर खाद नहीं आ रही है। उदाहरण के तौर-पर, जिले के चार बड़े IFFCO केंद्र — IFFCO जायस, मुसाफिरखाना, गौरीगंज और अमेठी — में डीएपी और एनपीके खाद उपलब्ध नहीं है।
समितियों पर स्थिति और भी चिंताजनक है: गौरीगंज के माधोपुर, अमेठी-खेरौना, महराजपुर, जगदीशपुर, गैरिकपुर आदि में करीब 15-20 समितियों पर खाद ही नहीं है।

किसानों ने बताया है कि जब खेत तैयार हैं, बोआई-मौका आ गया है, तब भी उन्हें डीएपी के लिए तड़े रहना पड़ रहा है। “एक जगह गए, वहां ताला लटका था; दूसरे में सिर्फ यूरिया मिल रहा था, डीएपी नहीं” — ऐसा एक किसान ने कहा।
कृषि विभाग का दावा है कि “मांग के अनुसार स्टॉक भेजा जा रहा है” लेकिन किसानों और समितियों का कहना है कि यह दावा जमीन से मेल नहीं खाता।


किसानों पर असर — बोआई प्रभावित, समिति-केंद्र विफल

खाद की कमी का सबसे बड़ा असर किसानों की बोआई पर पड़ रहा है। आलू, मटर, सरसों जैसी फसलों की बुवाई के साथ-साथ अब गेहूं की भी तैयारी चल रही है। मगर डीएपी तथा एनपीके खाद न मिलने से बुवाई में देरी हो रही है। Amar Ujala+1

गौरीगंज केंद्र पर इस तरह की हालत देखने को मिली कि केवल एनपीके उपलब्ध था, लेकिन डीएपी नहीं था — किसानों ने वहाँ सुबह-सुबह लाइन लगाई थी।
समिति सचिव ने बताया कि खाद आई थी, पर समाप्त हो गई है और नए खेप का इंतजार है। वहीं, किसानों ने कहा कि हर वर्ष इस तरह की समस्या बनी रहती है — “हर सीजन में हमें खाद के लिए भाग दौड़ करनी पड़ती है”।

यह स्थिति इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि समय पर बुवाई न होने पर फसल का मूवमेंट, उत्तरदायी पोषण और उपज प्रभावित होती है। इसके अलावा लागत-मांग, बाजार दर और किसान-विश्वास भी उलझ सकते हैं।


कारण, जिम्मेदारी और आगे क्या होना चाहिए

खाद की कमी के पीछे कई कारण सामने आ रहे हैं — सप्लाई-चेन की लचर अवस्था, केंद्र व समितियों में स्टॉक नहीं पहुंचना, वितरण में देरी और हो सकता है कि कुछ जगहों पर वितरण-प्रक्रिया में असमयता रही हो।

सहकारिता सहायक आयुक्त अरविंद कुमार ने बताया कि जहां मांग के अनुसार खाद नहीं पहुंची है, वहाँ भेजने की प्रक्रिया चल रही है।
दूसरी ओर किसानों का आरोप है कि “केंद्र-समितियों पर खाद की उपलब्धता पूर्व में भी समस्या रही है; लेकिन इस बार मामला बहुत बढ़ गया है”।

जिम्मेदारी कई स्तर पर बताई जा सकती है:

  • स्थानीय समिति व केंद्र का समय-बद्ध वितरण सुनिश्चित करना

  • जिला कृषि विभाग, सहकारी विभाग द्वारा स्टॉक व मांग-संबंधित डेटा की सटीक निगरानी

  • पूरे चक्र (उत्पादन → खेप → वितरण → किसान तक) में समन्वय सुनिश्चित करना

आगे क्या होना चाहिए? कुछ सुझाव हैं:

  • सभी IFFCO केंद्र व समितियों में खाद के स्टॉक व खेप का शीघ्र अपडेट देना।

  • प्राथमिकता-सूची में उन किसानों को शामिल करना जिनकी बुवाई शीघ्र करनी है।

  • सार्वजनिक सूचना-पोर्टल पर यह जानकारी देना कि कौन-सी समिति में कितनी खाद उपलब्ध है, ताकि किसान अन्य विकल्प चुन सकें।

  • स्थानीय प्रशासन द्वारा नियमित स्थिति-मूल्यांकन तथा बिचौलियों व कालाबाज़ारी की रोकथाम करना।

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Kuldeep Pandey
Kuldeep Pandey
Content Writer & News Reporter

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