अमेठी के किसानों की चिंता बढ़ी: अधिक बारिश से धान की फसल और लागत दोनों पर संकट|

1. लगातार बारिश ने अमेठी की धान-कटाई पर डाला ब्रेक

अमेठी जिले में अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से बारिश लगातार जारी है। यह वह समय है जब किसान धान की कटाई की तैयारी करते हैं। फसल पूरी तरह तैयार हो चुकी है — बालियाँ झुक चुकी हैं, दाने पक चुके हैं और खेतों में कटाई-मशीन उतरने का इंतज़ार था। लेकिन तीन-चार दिन से जारी भारी बारिश ने पूरा गणित बिगाड़ दिया है।

गांव-गांव में खेतों में पानी भर गया है। धान की फसल, जो पहले खड़ी थी, अब झुककर कीचड़ में गिर चुकी है। इससे फसल के सड़ने और अंकुर निकलने (sprouting) का खतरा बढ़ गया है।
तिलोई, मुसाफिरखाना, गौरीगंज और जायस क्षेत्र के किसान बताते हैं कि बारिश से पहले उन्होंने मजदूर तय कर लिए थे और कंबाइन मशीन बुक कर ली थी। लेकिन अब मशीन खेत में जा नहीं पा रही।

गौरीगंज के किसान रामभवन पांडे कहते हैं —

“धान की फसल पूरी तैयार थी, बस कटाई बाकी थी। लेकिन तीन दिन की लगातार बारिश ने खेतों में पानी भर दिया। अब मशीन नहीं उतर रही और धान गिरकर सड़ने लगा है। अगर दो-तीन दिन और बारिश हुई तो लागत तो दूर, आधी फसल भी नहीं बचेगी।”

अमेठी तहसील के कई गांवों — खेरौना, टिकरिया, पिपरी, उमरपुर और सगरा — में भी यही हाल है। खेतों में लगभग 6-8 इंच तक पानी भरा है। फसल के साथ-साथ मजदूरों को भी खेत में उतरना मुश्किल हो गया है।

कृषि विभाग के अनुसार, जिले के कई हिस्सों में औसतन 110-130 मिलीमीटर तक वर्षा रिकॉर्ड की गई है। यह सामान्य से 65% अधिक है। विभाग का कहना है कि “पानी उतरते ही फसल कटाई शुरू कराई जाएगी”, मगर किसानों को तत्काल राहत नहीं मिल पा रही।


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2. लागत बढ़ी, मेहनत पर संकट — किसानों की हालत बेहाल

किसानों के अनुसार इस वर्ष पहले से ही खेती महंगी थी — बीज, खाद और मजदूरी के दाम पिछले सालों से ज्यादा हैं। अब जब फसल तैयार हुई, तो लगातार बारिश ने सारा समीकरण बिगाड़ दिया।

बारिश के कारण —

  • कटाई रुक गई है: मशीन खेत में नहीं उतर पा रही।

  • धान भीगने से गुणवत्ता घट गई: दाने काले हो रहे हैं, जिससे मंडी में कम दाम मिलेगा।

  • अतिरिक्त मजदूरी लग रही है: गिर चुकी फसल को उठाने के लिए दोगुनी मजदूरी देनी पड़ रही है।

  • सूखाने का खर्च बढ़ गया: खेत में भीगा धान सुखाने के लिए अलग से जगह व समय चाहिए।

  • बोरे व ट्रांसपोर्ट का खर्च भी बढ़ा: देरी से कटाई होने पर मजदूरों और ट्रकों का इंतज़ार लंबा हो गया है।

तिलोई ब्लॉक के किसान श्यामसुंदर यादव बताते हैं —

“धान की एक एकड़ में इस बार 18-20 हजार रुपए की लागत आई थी। अब बारिश से धान गिर गया है, दाने सड़ रहे हैं। मंडी में अगर 1200-1300 रुपये क्विंटल भी मिलें, तो लागत नहीं निकलेगी।”

कुछ किसानों ने बताया कि पिछले दो वर्षों से वे लगातार नुकसान में हैं — एक बार ओलावृष्टि, दूसरी बार समय पर खाद न मिलना, और अब बारिश ने फसल खराब कर दी।

कृषि विभाग का दावा है कि फसल बीमा योजना के तहत जिन किसानों ने पंजीकरण कराया है, उन्हें नुकसान की भरपाई की जाएगी। लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि ज्यादातर छोटे किसान बीमा से वंचित हैं या उन्हें क्लेम मिलने में महीनों लग जाते हैं।


3. समाधान की उम्मीद और प्रशासन की भूमिका

अमेठी प्रशासन ने मौसम की मौजूदा स्थिति को “गंभीर” बताते हुए कृषि विभाग को राहत उपाय तैयार करने का निर्देश दिया है। राजस्व अधिकारी और कृषि अधिकारी संयुक्त सर्वे कर रहे हैं ताकि फसल क्षति का वास्तविक आंकलन किया जा सके।

जिला कृषि अधिकारी ने बताया —

“बारिश रुकने के बाद खेतों का निरीक्षण कराया जाएगा। अगर नुकसान 33% से अधिक पाया गया, तो किसानों को राहत योजना के तहत सहायता दी जाएगी।”

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि पानी उतरने के बाद किसान जल्दी से जल्दी कटाई करें और फसल को खुले स्थान पर सुखाएं।
अगर फसल बहुत भीग गई है, तो उसे जल्दी threshing कर लें, वरना अंकुर निकलने से दाने अनुपयोगी हो जाएंगे।

इसके अलावा, अगले सीजन के लिए किसानों को यह सलाह दी जा रही है कि —

  • खेतों में जलनिकासी के लिए छोटी नालियां रखें, ताकि बारिश का पानी ज्यादा देर तक न ठहरे।

  • मौसम विभाग के अलर्ट पर ध्यान दें, ताकि कटाई-समय पहले तय किया जा सके।

  • समूहिक कटाई-सुखाने की व्यवस्था करें, जिससे मशीन और संसाधन साझा किए जा सकें।

अमेठी जिले में कृषि आधारित आजीविका वाले हजारों परिवार इस बारिश से प्रभावित हुए हैं। किसानों की उम्मीद अब प्रशासनिक राहत और मौसम की मेहरबानी दोनों पर टिकी है।

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Kuldeep Pandey
Kuldeep Pandey
Content Writer & News Reporter

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