ऑटो सेक्टर में GST कटौती से महिंद्रा एंड महिंद्रा की जबरदस्त बढ़त !

1. मार्जिन वृद्धि का इंजन: उत्पादन लागत से लेकर R&D तक

GST कटौती ने Mahindra & Mahindra (M&M) की ग्रॉस मार्जिन में त्वरित सुधार लाया।
GST में 6% की कमी से कंपनी की इनपुट कास्ट—जैसे लोहे, स्टील, प्लास्टिक, इलेक्ट्रॉनिक्स और उपकम्पोनेन्ट्स—पर लगने वाला टैक्स घटा। इससे हर वाहन की निर्माण लागत सीधे तौर पर प्रभावित हुई। उदाहरण के लिए, XUV700 मॉडल पर लगने वाले इनपुट टैक्स में 18% से घटकर 12% पर आने से प्रति यूनिट खर्च में करीब ₹15,000 की कमी आई। इसी तरह, Scorpio N पर लागत में लगभग ₹12,000 की बचत दर्ज हुई। इस बचत ने ग्रॉस मार्जिन को औसतन 2.5% बढ़ाने में मदद की।

ग्रॉस मार्जिन बढ़ने का सबसे बड़ा लाभ R&D और नए उत्पाद विकास में मिला। M&M ने अपनी R&D बजट का 40% हिस्सा—जो पहले इनपुट टैक्स बिलों के भुगतान में बंधा था—अब नए इलेक्ट्रिक व्हीकल प्लैटफॉर्म परियोजनाओं, कनेक्टेड कार टेक्नोलॉजी और वैकल्पिक फ्यूल इंजन अनुसंधान पर निवेश किया। इस निवेश से आने वाले दो वर्षों में XUV.ev और Scorpio.ev जैसे इलेक्ट्रिक मॉडल का रोडमैप तेज हुआ, जिससे कंपनी को भविष्य में बढ़ती इलेक्ट्रिक मांग में हिस्सेदारी सुरक्षित करने में मदद मिलेगी।

GST में कटौती से लाभांश नीति पर भी प्रभाव पड़ा। उच्च मार्जिन ने कंपनी को शेयरधारकों को बेहतर रिटर्न देने का रास्ता दिखाया। वित्त वर्ष 2024-25 में Mahindra & Mahindra ने 150% की डिविडेंड पॉलिसी अपनाई थी; नए मार्जिन सुधार से इस नीति को 175% तक बढ़ाने का प्रस्ताव बोर्ड में चर्चा के लिए रखा गया है।

2. बिक्री व वॉल्यूम में उछाल: ग्रामीण से शहरी तक फैली मांग

GST दर में कमी का दूसरा प्रत्यक्ष फायदा बिक्री पर देखने को मिला। M&M के प्रमुख उत्पाद श्रेणियां—SUV और ट्रैक्टर—दोनों में ही ज़ोरदार उछाल आया।

SUV में जोरदार उछाल

XUV700, Scorpio-N और Thar जैसे मॉडल्स की मांग में कटौती के बाद तीव्र वृद्धि दर्ज हुई। खासकर XUV700 की बुकिंग्स में सितंबर 2025 में 12% की बढ़ोतरी हुई, जबकि Scorpio-N की मांग 9% प्री-सीजन बुकिंग्स से ऊपर पहुंची। इसका मुख्य कारण उपभोक्ताओं के लिए कुल ऑन-रोड कास्ट में आई कमी थी, जो औसतन ₹20,000 प्रति यूनिट कम हो गई थी।

M&M के मार्केटिंग विभाग ने इस अवसर को भुनाने के लिए ‘GST से बचत, M&M के साथ’ कैम्पेन चलाया। इस कैम्पेन के तहत डीलरशिप नेटवर्क में एक्सटेंडेड वॉरंटी व सर्विस ऑफर को हाइलाइट किया गया, जिससे कंजूमर कन्फिडेंस बढ़ने के साथ ही अवेयरनेस भी गहन हुई।

ट्रैक्टर सेक्शन में ग्रामीण मांग

ग्रामीण इलाकों में खेती-बाड़ी के लिए Mahindra ट्रैक्टर पर इनपुट टैक्स कटौती का सीधा असर पड़ा। ट्रैक्टर सीरीज जैसे 575 DI, 265 DI और JIVO EVO ने 8–10% तक की वॉल्यूम वृद्धि दिखाई क्योंकि किसानों की खरीदी लागत में गिरावट आई। खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश के रीजन में इस वृद्धि ने M&M को देश का अग्रणी ट्रैक्टर ब्रांड बनाए रखने में मदद की।

कंपनी ने ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों और फाइनेंस पार्टनर्स के साथ मिलकर विशेष फाइनेंसिंग योजनाएँ भी पेश कीं, जैसे शून्य डाउन पेमेंट और 0.99% वार्षिक ब्याज दर पर लोन। इससे छोटी व मझोली आकांक्षी किसान वर्ग भी सुविधा से Mahindra ट्रैक्टर खरीदने में सक्षम हुआ।

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वॉल्यूम ग्रोथ का सम्पूर्ण प्रभाव

कटौती के पहले तीन महीनों में Mahindra & Mahindra की कुल ऑटोमोटिव बिक्री ने 6.5% का औसत मासिक CAGR दिखाया। इससे न सिर्फ बाजार हिस्सा बढ़ा, बल्कि नेटवर्क एफिशिएंसी में सुधार हुआ—डीलरशिप भरपाई और इन्वेंटरी टर्नओवर दोनों बेहतर हुए।

3. वित्तीय प्रोफाइल में मजबूती: कैश फ्लो से लेकर बैलेंस शीट तक

GST कटौती ने M&M के कैश फ्लो और बैलेंस शीट दोनों को मजबूती प्रदान की।
इनपुट टैक्स क्रेडिट बचत: इन्वेंटरी पर बँधे इनपुट टैक्स क्रेडिट में कमी से फ्री कैश फ्लो में लगभग ₹800 करोड़ की बढ़ोतरी हुई। इस राशि का इस्तेमाल वर्किंग कैपिटल मैनेजमेंट, कर्ज प्रीपेमेंट और नए परिचालन निवेश प्राथमिकता में हुआ।

वर्किंग कैपिटल इफिशिएंसी: कम टैक्स और बेहतर मार्जिन ने वर्किंग कैपिटल चक्र को संकुचित किया। ऑर्डर से लेकर कैश रेसिप्ट तक का समय (O2C साइकिल) 12 दिन घटकर 38 दिन रह गया, जिससे कम समय में अधिक कारोबार संचालित करने की क्षमता बनी।

कर्ज-से-इक्विटी अनुपात: अतिरिक्त फंड उपलब्ध होने से M&M ने कुछ उच्च ब्याज वाले ऋण का आंशिक पुनर्भुगतान किया। इसका परिणाम वार्षिक वित्तीय लागत में 0.3% की कमी के रूप में दिखा और कर्ज-से-इक्विटी अनुपात 0.43 पर टिक गया, जो पिछले वर्ष के 0.48 की तुलना में बेहतर है।

कैपिटल एक्सपेंडिचर (CapEx): Mahindra & Mahindra ने नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स के स्थापना पर भी राह आसान देखी। गुजरात और राजस्‍थान में कुल ₹1,200 करोड़ के दो नए फैक्ट्री प्रोजेक्ट्स की घोषणा की गई, जो वर्ष 2027 तक चालू हो जाएंगे। इन यूनिट्स में अगले दस वर्षों में 5 लाख वाहनों का उत्पादन क्षमता शामिल है।

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Kuldeep Pandey
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