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परीक्षण का विवरण
रक्षा मंत्रालय की घोषणा के अनुसार, यह परीक्षण रणनीतिक बल कमान के तत्वावधान में संपन्न हुआ और इसमें मिसाइल के सभी परिचालन और तकनीकी मापदंडों का सफलतापूर्वक मूल्यांकन किया गया। यह परीक्षण भारत की रणनीतिक प्रतिरोध क्षमताओं के लिए एक महत्वपूर्ण बढ़ावा माना जा रहा है।
अग्नि-5 एक तीन चरणीय, ठोस ईंधन वाली, कैनिस्टर-लॉन्च मिसाइल है जो 5,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक लक्ष्य को भेद सकती है। यह मिसाइल भारत की न्यूनतम विश्वसनीय प्रतिरोध नीति की आधारशिला है और द्वितीय प्रहार क्षमता प्रदान करती है।
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम के तहत स्वदेशी रूप से विकसित यह मिसाइल भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
अग्नि श्रृंखला में अग्नि-5 की स्थिति
अग्नि-5 अग्नि श्रृंखला की सबसे उन्नत मिसाइल है, जो भूतल से भूतल पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों का एक परिवार है जो भारत के भूमि आधारित परमाणु प्रतिरोध की रीढ़ का काम करता है। भारत के पास अग्नि श्रृंखला में अग्नि-1 (700 किमी रेंज), अग्नि-2 (2000 किमी रेंज), अग्नि-3 और अग्नि-4 (2500 किमी से 3500 किमी से अधिक रेंज) शामिल हैं।
अग्नि-5 की पहली परीक्षण 19 अप्रैल 2012 को की गई थी। जून 2025 की रिपोर्ट्स के अनुसार, DRDO अग्नि-5 को और भी उन्नत बनाने पर काम कर रहा है और इसकी रेंज को 7,500 किलोमीटर तक बढ़ाने की योजना है।
यह मिसाइल आधुनिक नेवीगेशन, गाइडेंस, वारहेड और इंजन तकनीकों से लैस है जो इसकी मारक क्षमता और सटीकता को बढ़ाती है। इसमें तीन वारहेड एक साथ फायर करने की क्षमता है।
MIRV तकनीक का महत्व
मार्च 2024 में DRDO ने Multiple Independently Targetable Re-entry Vehicle (MIRV) तकनीक से लैस अग्नि-5 की पहली उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक की थी। यह तकनीक एक ही अग्नि-5 मिसाइल को एक ही प्रक्षेपण में अलग-अलग लक्ष्यों पर कई परमाणु वारहेड पहुंचाने की क्षमता देती है।
MIRV तकनीक भारत की रणनीतिक लचीलेपन और प्रतिरोध क्षमता को काफी बढ़ाती है। इससे भारत को अपनी रक्षा रणनीति में अधिक विकल्प मिलते हैं और शत्रु देशों के मिसाइल रक्षा सिस्टम को भेदना आसान हो जाता है।
रक्षा मंत्रालय ने पहले भी अग्नि-5 की भारत की रणनीतिक बलों की जीवित रहने की क्षमता, तत्परता और लचीलेपन में सुधार के योगदान को नोट किया है।
रणनीतिक महत्व
अग्नि-5 भारत की न्यूनतम विश्वसनीय प्रतिरोध (Credible Minimum Deterrence) नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह नीति "पहले उपयोग न करने" (No First Use) के सिद्धांत पर आधारित है लेकिन परमाणु हमले की स्थिति में विनाशकारी जवाबी कार्रवाई का भरोसा देती है।
इस मिसाइल की 5,000 किलोमीटर से अधिक की मारक क्षमता इसे इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) की श्रेणी में रखती है। यह भारत को एशिया-प्रशांत क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों तक पहुंचने की क्षमता देती है।
अग्नि-5 की कैनिस्टर-लॉन्च क्षमता इसे अधिक मोबाइल और छुपाने में आसान बनाती है। यह दुश्मन के पहले हमले में बचने की संभावना बढ़ाती है और द्वितीय प्रहार क्षमता को मजबूत करती है।
तकनीकी विशेषताएं
अग्नि-5 एक तीन चरणीय ठोस प्रणोदक मिसाइल है। ठोस ईंधन का उपयोग इसे तुरंत प्रक्षेपण के लिए तैयार रखता है और रखरखाव की आवश्यकता कम करता है। तरल ईंधन वाली मिसाइलों की तुलना में यह अधिक विश्वसनीय और तेज़ है।
मिसाइल में उन्नत इनर्शियल नेवीगेशन सिस्टम और GPS गाइडेंस है जो इसकी सटीकता बढ़ाता है। यह सभी मौसम में दिन-रात कभी भी लॉन्च की जा सकती है।
अग्नि-5 की कैनिस्टर लॉन्च प्रणाली इसे रेल, सड़क या स्थिर प्लेटफॉर्म से आसानी से लॉन्च करने की सुविधा देती है। यह मोबिलिटी इसकी उत्तरजीविता को बढ़ाती है।
भविष्य के विकास
DRDO अग्नि-5 के नए वेरिएंट्स पर काम कर रहा है जो वर्तमान में विकास के तहत हैं। इनमें बंकर-बस्टर बम तकनीक को मिसाइल में जोड़ने पर भी फोकस है। यह भूमिगत और मजबूत ठिकानों को नष्ट करने की क्षमता प्रदान करेगी।
रिपोर्ट्स के अनुसार, DRDO अग्नि-5 की रेंज को 7,500 किलोमीटर तक बढ़ाने पर काम कर रहा है। यह विस्तार भारत की रणनीतिक पहुंच को और बढ़ाएगा और अधिक दूर के लक्ष्यों को कवर करेगा।
भविष्य में अग्नि-5 के और भी उन्नत वर्जन आ सकते हैं जिनमें बेहतर MIRV तकनीक, अधिक सटीकता और मिसाइल रक्षा प्रणालियों को चकमा देने की बेहतर क्षमता हो।
अंतरराष्ट्रीय संदर्भ
अग्नि-5 का सफल परीक्षण भारत को विश्व के उन चुनिंदा देशों में शामिल करता है जिनके पास ICBM क्षमता है। वर्तमान में अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस और उत्तर कोरिया के पास ICBM हैं।
यह परीक्षण क्षेत्रीय सुरक्षा संतुलन में भारत की स्थिति को मजबूत करता है। विशेष रूप से चीन की बढ़ती सैन्य क्षमताओं और आक्रामक नीतियों के संदर्भ में यह परीक्षण महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले भी DRDO वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना की है और इसे राष्ट्रीय गौरव का विषय बताया है। यह परीक्षण भारत की स्वदेशी रक्षा विनिर्माण क्षमता का प्रमाण है।
अग्नि-5 का सफल परीक्षण भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह दिखाता है कि भारत अत्याधुनिक रक्षा तकनीक विकसित करने में सक्षम है और किसी पर निर्भर नहीं है।
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