पश्चिम बंगाल में भारी बारिश से दैनिक जीवन बाधित

अपाहिज हुई परिवहन व्यवस्था

पश्चिम बंगाल के तटीय जिलों में पिछले एक सप्ताह से घनघोर वर्षा हो रही है। गंगा और उसके सहायक नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर चला गया है। इस वजह से प्रमुख राजमार्ग और ग्रामीण सड़कें जलमग्न हो गई हैं। कोलकाता से हुगली और दार्जिलिंग तक के रेल मार्गों पर कई स्थानों पर ब्लॉकों का सामना करना पड़ा है। कई यात्री ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं और बस सेवाएं ठप हो गई हैं। जलभराव के कारण पुलों के नीचे पानी भर जाने से कई छोटे वाहन चालकों को रैलियों की सहायता लेनी पड़ी। नदी किनारे बसे गांवों में नाव के बिना कोई आवाजाही नहीं हो पा रही है।

स्थानीय ट्रैफिक पुलिस ने चेतावनी जारी की है कि पानी भरे मार्गों पर वाहन न चलाएं और जितना संभव हो, घरों में ही रहें। प्रशासन ने उच्च स्तर के नियंत्रण कक्ष बनाए हैं, जहां से सीसीटीवी फुटेज की निगरानी कर बचाव दल को निर्देश दिए जा रहे हैं।

रेल एवं सड़क मार्गों के ठप होने से उद्योगों को अपने कच्चे माल और तैयार माल की आवाजाही में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इससे छोटे श्रमिक वर्ग को जबरदस्त आर्थिक क्षति हो रही है, क्योंकि वे समय पर काम पर नहीं पहुंच पा रहे।


शिक्षा संस्थानों का अवकाश और स्वास्थ्य जोखिम

महमंडल एवं बाल विकास विभाग ने राज्य भर में सभी स्कूल और कॉलेज दो दिनों के लिए बंद करने का निर्देश दिया है। एहतियातन यह कदम इसलिए उठाया गया ताकि छात्रगण जलभराव से बच सकें और रास्‍ते पर सर्पदंश या छत से गिरने वाले मलबे का खतरा न उठा सकें।

बच्चों के घर से बाहर निकलने पर कीचड़ और गंदगी में फंसने का डर बना हुआ है। कई प्राथमिक विद्यालयों के आंगन में जलभराव हो गया है, जिससे अस्वच्छता फैल रही है। रोगाणुजनित बीमारियों जैसे पेट संबंधी संक्रमण और त्वचा के फंगल संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। स्वास्थ्य विभाग ने जल-जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए वाटर टैबलेट वितरण अभियान शुरू किया है और मोबाइल स्वास्थ्य शिविरों का संचालन किया है।

ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचना मुश्किल हो गया है, इसलिए गर्भवती महिलाओं और वृद्धों को घर-घर पहुंचकर चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पानी की मुहैया करवाने के साथ-साथ इंजेक्शन व दवाइयों का स्टॉक बढ़ाया गया है।

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राहत एवं पुनर्वास कार्य में प्रशासन की मुस्तैदी

राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन विभाग की तत्परता बढ़ाई है। बचाव दलों में चारधाराघाट नाव सेवाएं, चश्मर दल, एनडीआरएफ एवं राज्य रैपिड एक्शन फोर्स को सक्रिय किया गया है। राहत शिविरों में पीडि़तों के लिए खाद्य सामग्री, पीने का पानी एवं ओढ़ने-बिछौने का इंतजाम किया गया है।

चेन्नई समेत अन्य राज्यों से अतिरिक्त रेत-बैग मंगाए गए हैं ताकि नदी किनारे की हतोत्साहित बस्तियों को तात्कालिक सुरक्षा दी जा सके। मजदूरों को चौबीस घंटे परिचालित वाटर पंप और जेसीबी मशीनों की सहायता से जल निकासी में लगाया गया है।

विभिन्न एनजीओज ने भी राहत कार्य में हाथ बंटाया है। उन्होंने कपड़े, दवाइयां, और जलबंदोबस्त किट वितरित की हैं। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता घर-घर जाकर पीडि़त परिवारों का हाल-चाल ले रहे हैं और बच्चों के लिए गुड़-आटा पैकेट्स उपलब्ध करा रहे हैं।

राज्यपाल और मुख्‍यमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए प्रभावित जिलों के उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों से समीक्षा बैठक की, जिसमें ट्रांसमिशन नेटवर्क पर बिजली कटौती रोकने, अस्पतालों में बैकअप जनरेटर सुनिश्चित करने और पुरानी बांध संरचनाओं का निरीक्षण करने के निर्देश दिए गए।

राज्य आपदा कोष से अनुदान की प्रक्रिया तेज कर दी गई है, ताकि पीडि़त किसान अपनी फसल के नुकसान का बीज एवं खाद खरीद कर पुनर्वास कर सकें।


पश्चिम बंगाल में भारी बारिश ने दिखा दिया कि एक प्राकृतिक आपदा किस प्रकार से व्यापक सामाजिक, आर्थिक और चिकित्सीय चुनौतियां खड़ी कर देती है। निरंतर निगरानी, त्वरित राहत एवं पुनर्वास के साथ-साथ दीर्घकालिक बाढ़ प्रबंधन योजनाओं की आवश्यकता अब पहले से कहीं अधिक स्पष्ट हो गई है।

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Kuldeep Pandey
Kuldeep Pandey
Content Writer & News Reporter

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