"तीन बार जीते, एक बार इस्तीफा, अब निर्दलीय! कौन हैं राकेश प्रताप सिंह?"

प्रारंभिक जीवन और राजनीतिक शुरुआत का सफर

राकेश प्रताप सिंह का जन्म 30 जून 1976 को अमेठी जिले के गौरीगंज के मऊ गांव में हुआ था। उनके पिता तेज प्रताप सिंह एक साधारण ग्रामीण परिवार से संबंध रखते थे। राकेश प्रताप सिंह की शिक्षा हाई स्कूल तक ही सीमित रही, जो उन्होंने 1991 में प्रतापगढ़ के SPIC रानीगंज कैथौला से पूरी की। शिक्षा की यह सीमा उनकी राजनीतिक शैली और निर्णयों में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है।

व्यक्तिगत जीवन की बात करें तो 1 जून 1996 को उनका विवाह शीलम सिंह से हुआ, जिनसे उनका एक पुत्र और एक पुत्री है। व्यवसाय से कृषक और उद्योगपति राकेश प्रताप सिंह की राजनीति में प्रवेश की शुरुआत 2003 में समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने से हुई। प्रारंभ में उन्हें युवजन सभा का जिलाध्यक्ष बनाया गया और बाद में ब्लॉक प्रमुख भी रहे।

2007 में पार्टी ने उन्हें पहली बार विधानसभा का टिकट दिया, हालांकि उस समय वे जीत हासिल नहीं कर सके। लेकिन इस हार ने उनके हौसले पस्त नहीं किए और वे अपने क्षेत्र की जनता के बीच काम करते रहे। उनकी मेहनत और लगन का फल 2012 के चुनावों में मिला जब वे पहली बार गौरीगंज सीट से विधायक बने।

राकेश प्रताप सिंह के व्यक्तित्व की खासियत यह है कि वे एक साधारण ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं और अपनी जमीनी समझ के बल पर राजनीति में आगे बढ़े हैं। उनकी भाषा सीधी-सादी है और वे अपनी बात को स्पष्टता से रखने में विश्वास करते हैं।

विधानसभा में तीन बार की जीत और राजनीतिक उपलब्धियां

राकेश प्रताप सिंह की राजनीतिक यात्रा में 2012 का चुनाव एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। उन्होंने समाजवादी पार्टी के टिकट पर कांग्रेस के मोहम्मद नईम को भारी मतों से हराकर पहली बार विधायक की कुर्सी हासिल की। उन्होंने कुल 44,287 वोट प्राप्त किए और अपनी पहली जीत दर्ज की।

2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी लोकप्रियता का प्रमाण देते हुए फिर से मोहम्मद नईम को 26,419 वोटों के बड़े अंतर से हराया। इस बार उन्होंने कुल 77,915 वोट हासिल किए, जो उनकी बढ़ती लोकप्रियता का सबूत था। हालांकि, 31 अक्टूबर 2021 को उन्होंने भाजपा सरकार द्वारा "वादों की पूर्ति न करने" का हवाला देते हुए विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था।

यह इस्तीफा उनके राजनीतिक करियर की एक अनूठी घटना थी। उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र की दो महत्वपूर्ण सड़कों - कादू नाला से थौरी मार्ग और मुसाफिरखाना से पारा मार्ग - के पुनर्निर्माण के लिए यह कदम उठाया था। इन सड़कों का निर्माण कार्य मानक के अनुरूप नहीं हुआ था और वे बनते ही ध्वस्त हो गई थीं।

अपने संघर्ष के दौरान राकेश प्रताप सिंह ने लखनऊ में आमरण अनशन भी किया। 5 नवंबर 2021 को पुलिस ने उन्हें जबरन उठाकर अस्पताल में भर्ती कराया। बाद में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की अपील पर उन्होंने अनशन तोड़ा।

2022 के विधानसभा चुनाव में राकेश प्रताप सिंह ने भाजपा के चंद्र प्रकाश मिश्रा मतियारी को 6,963 वोटों के अंतर से हराकर तीसरी बार जीत हासिल की। उन्होंने कुल 79,040 वोट (38.96%) प्राप्त किए। हालांकि यह जीत का अंतर पिछली बार की तुलना में कम था, फिर भी यह उनकी निरंतर लोकप्रियता का प्रमाण था।

राकेश प्रताप सिंह उत्तर प्रदेश विधानसभा की प्राक्कलन समिति के सदस्य भी रहे हैं। इस पद पर रहते हुए उन्होंने विभिन्न सरकारी योजनाओं की समीक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे अपने विधानसभा क्षेत्र की समस्याओं को लेकर हमेशा मुखर रहे और सदन में नियमित रूप से मुद्दे उठाते रहे।

rakesh

व्यापक विकास कार्य और जन सेवा की प्रतिबद्धता

राकेश प्रताप सिंह ने अपने तीन कार्यकालों में गौरीगंज विधानसभा क्षेत्र में व्यापक विकास कार्य किए हैं। उनके कार्यों को मुख्यतः चार श्रेणियों में बांटा जा सकता है - शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और आधारभूत संरचना।

शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने विधायक निधि से कई प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों का आधुनिकीकरण कराया। धनी जलालपुर स्थित मुख्यमंत्री अभ्युदय कम्पोजिट विद्यालय में उन्नयन कार्य का उद्घाटन करना उनकी शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। कई प्राथमिक विद्यालयों में नए कक्षा-कक्षों का निर्माण, पेयजल व्यवस्था और शौचालय निर्माण जैसे कार्य उनकी देखरेख में हुए।

स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का विकास, गर्भवती महिलाओं के लिए जांच शिविर आयोजन, टीकाकरण अभियान में सहयोग और आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं में सुधार जैसे कार्य उन्होंने किए।

कृषि क्षेत्र में उनकी विशेष रुचि रही है। जनवरी 2025 में "विकसित कृषि संकल्प अभियान – 2025" का आयोजन करना, सबमिशन ऑन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन योजना के अंतर्गत ब्लॉक स्तरीय गोष्ठी, निशुल्क खरीफ बीज वितरण कार्यक्रम जैसी पहल उनकी कृषि के प्रति प्रतिबद्धता को दिखाती हैं।

अक्टूबर 2024 में उन्होंने भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाते हुए अमेठी के जिला कृषि अधिकारी राजेश यादव पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने आरोप लगाया कि कृषि अधिकारी की "महीने की 10 लाख की ऊपरी कमाई" है और वे एग्रो डीलरों से पैसे वसूलते हैं। यह घटना उनके निडर व्यक्तित्व और भ्रष्टाचार के विरुद्ध उनके दृढ़ रुख को दर्शाती है।

आधारभूत संरचना के विकास में उनका सबसे प्रमुख संघर्ष सड़क निर्माण को लेकर रहा है। कादू नाला से थौरी मार्ग का पुनर्निर्माण की मांग और मुसाफिरखाना से पारा मार्ग की मरम्मत के लिए उन्होंने कड़ा आंदोलन चलाया। 2021 में इस मुद्दे पर उन्होंने विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा तक दे दिया था।

विधायक निधि के उपयोग में राकेश प्रताप सिंह ने पूर्ण पारदर्शिता बरती है। सराय भागमनी ग्राम में विधान मंडल विधायक क्षेत्र विकास निधि योजना वर्ष 2023-24 के अंतर्गत सीसी रोड का निर्माण जैसे कार्य उनकी सक्रियता को दर्शाते हैं।

समाजवादी पार्टी से निष्कासन और नई राजनीतिक दिशा

राकेश प्रताप सिंह के राजनीतिक जीवन में 23 जून 2025 का दिन एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ जब समाजवादी पार्टी ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया। यह निष्कासन फरवरी 2024 के राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने के आरोप में हुआ। राकेश प्रताप सिंह समेत सात समाजवादी पार्टी के विधायकों ने उस समय भाजपा प्रत्याशी को वोट दिया था।

पार्टी से निष्कासन के बाद राकेश प्रताप सिंह ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा था, "राम, राष्ट्र और सनातन मेरे लिए पहले हैं, पार्टी बाद में। अगर सनातन की बात करना बगावत है, तो हां, मैं बागी हूं"। उन्होंने समाजवादी पार्टी पर आरोप लगाया कि वह अब अपने मूल विचारों से भटक गई है और केवल वोटबैंक की राजनीति में लिप्त है।

निष्कासन के बाद जब वे अमेठी पहुंचे तो उनका भव्य स्वागत हुआ। अमेठी बॉर्डर से लेकर गौरीगंज विधानसभा तक जगह-जगह उनका स्वागत किया गया। बुलडोजर से उन पर फूलों की बारिश कराई गई और "देखो-देखो कौन आया, शेर आया" के नारे लगे। इस स्वागत ने यह स्पष्ट कर दिया कि जनता के बीच उनकी लोकप्रियता बरकरार है।

भाले सुल्तान पार्क में आयोजित कार्यक्रम में राकेश प्रताप सिंह ने अखिलेश यादव पर तीखे प्रहार किए। उन्होंने कहा कि अगर वे "रामचरितमानस जलाने पर तालियां बजाते और सनातन धर्म का अपमान सह लेते तो शायद आज पार्टी में होते"। उन्होंने घोषणा की कि वे अब "विचारधारा की राजनीति" करेंगे और "सनातन का अपमान नहीं सहन करेंगे"।

पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की राजनीति पर भी उन्होंने सवाल उठाए। उनका कहना था कि "यह नारा सिर्फ छलावा है। जिन दलित महापुरुषों के नाम पर जिले का नाम रखा गया था, उन्हीं का अपमान करके अमेठी नाम फिर से बहाल कर दिया गया"। उन्होंने कहा कि "पीडीए अब परिवार डेवेलपमेंट अथॉरिटी बन गया है, जहां सब कुछ परिवार के फायदे के लिए हो रहा है"।

राकेश प्रताप सिंह ने निष्कासन को लेकर कहा कि यह उनके लिए "अच्छी खबर" है क्योंकि वे "घुटन महसूस कर रहे थे और आजादी मिल गई"। उन्होंने अखिलेश यादव को "धन्यवाद" देते हुए कहा कि "आपने डूबते जहाज से मुझे आजाद कर दिया"।

वर्तमान में राकेश प्रताप सिंह निर्दलीय विधायक के रूप में कार्य कर रहे हैं। भविष्य की राजनीतिक योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि "जो भी करेंगे डंके की चोट पर करेंगे और जब करेंगे तब पूरा देश और प्रदेश जानेगा"। उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं कि वे भाजपा में शामिल हो सकते हैं, लेकिन अब तक उन्होंने कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया है।

राकेश प्रताप सिंह का यह राजनीतिक सफर दिखाता है कि वे एक ऐसे नेता हैं जो अपने सिद्धांतों पर समझौता करने को तैयार नहीं हैं। समाजवादी पार्टी से निष्कासन के बाद भी गौरीगंज की जनता का उनके प्रति प्रेम और सम्मान बरकरार है, जो उनकी जमीनी लोकप्रियता का प्रमाण है।

Rakesh Pratap SinghGauriganj MLAअमेठी विधायकसमाजवादी पार्टीनेता का जीवन परिचयराजनीतिक करियरउत्तर प्रदेश विधानसभा
Kuldeep Pandey
Kuldeep Pandey
Content Writer & News Reporter

I’m a passionate writer who loves exploring ideas, sharing stories, and connecting with readers through meaningful content.I’m dedicated to sharing insights and stories that make readers think, feel, and discover something new.