हेलीकॉप्टर फँसा, सुरक्षा थमी : द्रौपदी मुर्मू की यात्रा पर केरल में अनहोनी टली

1. लैंडिंग के वक्त टला बड़ा हादसा – कैसे हुआ यह पूरा घटनाक्रम

बुधवार की सुबह केरल के पथानमथिट्टा ज़िले के प्रमदम इलाके में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का हेलीकॉप्टर जब उतर रहा था, तभी एक ऐसा दृश्य सामने आया जिसने सुरक्षा एजेंसियों को हिला दिया। हेलीकॉप्टर के उतरते ही उसका पिछला पहिया अचानक कंक्रीट में धंस गया। यह वही हेलीपैड था जिसे राष्ट्रपति की यात्रा से ठीक पहले रातभर में तैयार किया गया था।

स्थानीय पुलिस और प्रशासन के अनुसार, यह हेलीपैड “नया तैयार” किया गया था, लेकिन कंक्रीट पूरी तरह सूख नहीं पाई थी। इस कारण जब भारी Mi-17 V5 हेलीकॉप्टर वहां उतरा, तो उसका एक हिस्सा ज़मीन में धंस गया। मौके पर मौजूद पुलिस और फायर ब्रिगेड के जवानों को हेलीकॉप्टर को बाहर निकालने के लिए धक्का लगाना पड़ा।

वीडियो फुटेज में साफ देखा जा सकता है कि हेलीकॉप्टर लैंड करते ही अचानक झटका खाता है और कुछ सेकंड के लिए झुक जाता है। इसके बाद सुरक्षा कर्मी दौड़कर पहुंचे और चारों तरफ से हेलीकॉप्टर को स्थिर किया गया।

वायुसेना के अधिकारियों ने राहत की सांस ली कि घटना में कोई तकनीकी खराबी नहीं थी। हेलीकॉप्टर के ब्लेड, इंजन और पायलट दल पूरी तरह सुरक्षित रहे। राष्ट्रपति मुर्मू को सुरक्षित रूप से बाहर निकाला गया और उन्हें उनके कार्यक्रम स्थल तक पहुंचाया गया।

हालांकि प्रशासन ने इसे “तकनीकी परिस्थिति” बताया है, लेकिन वीवीआईपी प्रोटोकॉल में इतनी बड़ी चूक ने सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।


Capture-23

2. सुरक्षा में चूक या सिर्फ एक ‘संयोग’? – उठे कई सवाल

यह सवाल अब पूरे देश में गूंज रहा है कि आखिर कैसे राष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद की यात्रा में इस तरह की “असुरक्षित लैंडिंग” की अनुमति दी गई।

प्रोटोकॉल क्या कहता है?

राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान हेलीपैड का निर्माण और निरीक्षण एक बहुत सख्त प्रक्रिया के तहत किया जाता है। आमतौर पर हेलीपैड को लैंडिंग से कम से कम 72 घंटे पहले तैयार कर लिया जाता है ताकि कंक्रीट पूरी तरह सूख जाए और लोड-बेयरिंग टेस्ट हो सके।

परंतु इस मामले में स्थानीय अधिकारियों के मुताबिक हेलीपैड का निर्माण मंगलवार देर रात तक चलता रहा। यानी राष्ट्रपति के आगमन से सिर्फ 10-12 घंटे पहले ही सतह तैयार हुई थी। ऐसी स्थिति में हेलीकॉप्टर का भार उस पर डालना बेहद जोखिमभरा था।

स्थानीय प्रशासन का पक्ष

केरल के डीजीपी रवाड़ा चंद्रशेखर ने बयान जारी कर कहा—

“यह सुरक्षा में लापरवाही नहीं थी। मौसम खराब होने के कारण लैंडिंग स्थल बदला गया था। निर्माण कार्य समय की कमी के कारण जल्दी पूरा करना पड़ा।”

हालांकि इस बयान के बाद भी विपक्षी दलों ने इसे गंभीर चूक बताया है। कांग्रेस और भाजपा, दोनों ही दलों ने सवाल उठाए कि अगर राष्ट्रपति की यात्रा में ही ऐसी तैयारी हुई है, तो सामान्य वीआईपी दौरों में क्या स्थिति होगी?

विशेषज्ञों की राय

रिटायर्ड एयर कोमोडोर आर.के. शर्मा ने कहा कि यह मामला सुरक्षा और निर्माण समन्वय की विफलता दर्शाता है।

“हेलीपैड का परीक्षण करना सबसे अहम कदम होता है। यदि ऐसा परीक्षण नहीं हुआ या अधूरा हुआ, तो यह निश्चित रूप से सुरक्षा की अनदेखी है।”

इस घटना ने पूरे वीवीआईपी यात्रा प्रोटोकॉल की समीक्षा की मांग खड़ी कर दी है। यह केवल तकनीकी लापरवाही नहीं, बल्कि जिम्मेदारी तय करने का मामला भी बन गया है।

जनता की प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर यह विषय खूब चर्चा में रहा। कई उपयोगकर्ताओं ने लिखा कि अगर देश की सर्वोच्च पदाधिकारी के साथ ऐसा हो सकता है, तो सामान्य नागरिकों की सुरक्षा का क्या होगा।
एक टिप्पणी में लिखा गया:

“राष्ट्रपति सुरक्षित रहीं, यह सौभाग्य की बात है; लेकिन यह व्यवस्था की असफलता है, सफलता नहीं।”


3. आगे की जांच, कार्रवाई और सबक – ‘सुरक्षा सिर्फ औपचारिकता नहीं’

घटना के बाद राज्य सरकार ने उच्च-स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं।

1. निर्माण एजेंसी पर सवाल

जानकारी के अनुसार, यह हेलीपैड राज्य लोक निर्माण विभाग (PWD) ने बनाया था। रिपोर्ट्स में कहा गया कि कंक्रीट लेयर को पर्याप्त समय नहीं दिया गया, जिससे यह सतह भार नहीं सह सकी। जांच समिति यह पता लगाएगी कि हेलीपैड कब बनाया गया, किस अधिकारी ने अनुमति दी, और क्या लोड टेस्ट किया गया था या नहीं।

2. वायुसेना की आंतरिक जांच

भारतीय वायुसेना भी अपनी ओर से घटना की समीक्षा कर रही है। यह देखा जाएगा कि लैंडिंग से पहले सतह की स्थिति की जांच सही ढंग से की गई थी या नहीं। वीवीआईपी फ्लाइट यूनिट के नियमों के अनुसार, “हर लैंडिंग साइट को तीन स्तरीय मंजूरी” की आवश्यकता होती है।

3. भविष्य की सख्त व्यवस्था

इस घटना के बाद गृह मंत्रालय और राष्ट्रपति सचिवालय दोनों ने संकेत दिए हैं कि भविष्य में वीवीआईपी यात्राओं के लिए साइट अप्रूवल प्रक्रिया और कंस्ट्रक्शन गाइडलाइंस को संशोधित किया जाएगा।
नई गाइडलाइन में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी हेलीपैड पर लैंडिंग से कम से कम 24 घंटे पहले फाइनल इंस्पेक्शन रिपोर्ट अनिवार्य हो।

4. जनता का भरोसा बनाए रखना

राष्ट्रपति कार्यालय ने मीडिया को बताया कि “माननीय राष्ट्रपति पूरी तरह सुरक्षित हैं और कार्यक्रम सामान्य रूप से जारी रहेगा।”
हालांकि यह बयान जरूरी था, लेकिन इससे बड़ा सवाल यह है कि क्या सुरक्षा व्यवस्था को अब भी सिर्फ औपचारिकता माना जा रहा है?

5. विशेषज्ञों की सिफारिशें

पूर्व एयर मार्शल पी.एस. आहूजा ने कहा—

“यह घटना यह दिखाती है कि वीवीआईपी सुरक्षा सिर्फ गार्ड या प्रोटोकॉल नहीं, बल्कि समन्वित तैयारी का परिणाम है। एक भी विभाग की लापरवाही पूरी व्यवस्था को खतरे में डाल सकती है।”

द्रौपदी मुर्मूहेलीकॉप्टरहेलीपैड धंसाकेरलप्रमदमसुरक्षा लापरवाहीVVIP यात्रासावरिमाला दर्शन
Kuldeep Pandey
Kuldeep Pandey
Content Writer & News Reporter

I’m a passionate writer who loves exploring ideas, sharing stories, and connecting with readers through meaningful content.I’m dedicated to sharing insights and stories that make readers think, feel, and discover something new.