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किडनी स्टोन यानी पथरी की समस्या एक आम लेकिन बेहद तकलीफदेह बीमारी है, जिसमें गुर्दे में कठोर पत्थर जैसे जमाव बन जाते हैं। यह पथरी यूरिन में मौजूद खनिजों और लवणों के अधिक जमाव के कारण बनती है। सही समय पर इलाज न होने पर यह समस्या बेहद गंभीर हो सकती है। इस लेख में हम जानेंगे कि पथरी क्या है, इसके लक्षण क्या होते हैं, कैसे यह बनती है, और किन घरेलू, आयुर्वेदिक एवं होम्योपैथिक उपायों से इसका इलाज संभव है।
पथरी क्या है और यह क्यों बनती है?
किडनी स्टोन यानी गुर्दे की पथरी छोटे-छोटे ठोस कण होते हैं जो शरीर में मौजूद कैल्शियम, ऑक्सलेट, फॉस्फेट, यूरीक एसिड आदि के अधिक जमने से बनते हैं। जब शरीर में पानी की कमी होती है या व्यक्ति बार-बार पेशाब नहीं करता, तो ये तत्व गुर्दे में जमा होकर धीरे-धीरे पथरी का रूप ले लेते हैं। कुछ पथरियां इतनी छोटी होती हैं कि वे अपने-आप पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाती हैं, जबकि कुछ बड़ी पथरियां दर्द, जलन और रक्तस्राव का कारण बन जाती हैं।
पथरी बनने के प्रमुख कारणों में पानी की कमी, अधिक प्रोटीन या नमक का सेवन, बार-बार यूरिन रोके रखना, आनुवंशिक कारण, यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन, और विटामिन डी की अधिकता शामिल हैं। साथ ही, जो लोग दिनभर बैठ कर काम करते हैं और पानी कम पीते हैं, उनमें पथरी का खतरा ज्यादा होता है।

पथरी के लक्षण: कैसे पहचानें?
पथरी की शुरुआत अक्सर बिना किसी चेतावनी के होती है, लेकिन जब यह मूत्रनली में फंस जाती है या मूव करती है, तो बेहद तेज दर्द का अनुभव होता है। आमतौर पर यह दर्द कमर से लेकर पेट के निचले हिस्से या जननांग क्षेत्र तक फैलता है।
मुख्य लक्षण:
पीठ या पेट के एक ओर तीव्र दर्द
पेशाब में जलन या खून आना
मतली या उल्टी
बार-बार पेशाब आना लेकिन मात्रा कम होना
तेज बुखार (अगर इन्फेक्शन हो जाए)
पेशाब का रंग गहरा होना या दुर्गंध आना
अगर ये लक्षण लगातार बने रहें या दर्द असहनीय हो जाए, तो बिना देरी डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
घरेलू और आयुर्वेदिक इलाज
प्राचीन चिकित्सा पद्धति में पथरी का इलाज कई आयुर्वेदिक औषधियों और प्राकृतिक उपायों से किया गया है, जिनका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। ये उपाय पथरी को गलाने, मूत्र मार्ग से बाहर निकालने और दोबारा पथरी बनने से रोकने में सहायक होते हैं।
गोक्शुर और वरुण चूर्ण: यह दोनों आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ मूत्र मार्ग को साफ रखने और पथरी को घोलने में मदद करती हैं। इनका सेवन रोज़ सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ किया जा सकता है।
नींबू और जैतून तेल का मिश्रण: नींबू का रस यूरीन को क्षारीय बनाता है, जिससे पथरी घुल सकती है। जैतून तेल मूत्र मार्ग को चिकना करता है। रोज सुबह खाली पेट दो चम्मच नींबू का रस और दो चम्मच जैतून तेल का सेवन करें।
नारियल पानी और ककड़ी: ये दोनों पदार्थ मूत्र को साफ रखने और शरीर को हाइड्रेट करने में मदद करते हैं। ककड़ी में पानी की मात्रा अधिक होती है और यह शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालती है।
तरबूज और उसके बीज: तरबूज प्राकृतिक मूत्रवर्धक है। इसके बीजों का काढ़ा बनाकर दिन में एक बार सेवन करने से पथरी गलने में सहायता मिलती है।
अधिक मात्रा में पानी पीना: दिनभर में कम से कम 3-4 लीटर पानी जरूर पीना चाहिए। खासकर सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पीना फायदेमंद होता है।
पथरी से बचाव और परहेज
कहते हैं कि बचाव इलाज से बेहतर होता है। यदि जीवनशैली और खानपान में थोड़ा सा ध्यान दिया जाए, तो पथरी जैसी पीड़ा से बचा जा सकता है।
अधिक मात्रा में पानी पिएं, खासकर गर्मियों में।
नमक, चाय, चॉकलेट, सॉफ्ट ड्रिंक्स और तली-भुनी चीजों का सेवन कम करें।
अधिक मात्रा में प्रोटीन जैसे रेड मीट या अंडे से परहेज करें।
दिनभर बैठने से बचें, हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करते रहें।
नियमित रूप से यूरिन जाएं, यूरिन कभी न रोकें।
विटामिन डी और कैल्शियम सप्लीमेंट का सेवन डॉक्टर की सलाह से करें।
अगर आप पहले से पथरी के मरीज रहे हैं, तो हर 6 महीने में सोनोग्राफी करवाते रहना चाहिए, ताकि कोई नई पथरी बन रही हो तो समय रहते उसका इलाज शुरू किया जा सके।
होम्योपैथिक दवाइयाँ: सुरक्षित और असरदार विकल्प
होम्योपैथी में पथरी के लिए कई असरदार दवाइयाँ हैं जो पथरी के आकार, प्रकार और लक्षणों के अनुसार काम करती हैं। ये दवाएं शरीर के प्राकृतिक उपचार तंत्र को सक्रिय करती हैं और किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं करतीं।
Berberis Vulgaris Q: यह सबसे प्रसिद्ध होम्योपैथिक औषधि है जो बाएं तरफ की पथरी, पीठ और कमर के दर्द में बेहद असरदार होती है।
Cantharis: अगर पेशाब करते समय जलन या खून आ रहा हो तो यह दवा बहुत कारगर होती है।
Sarsaparilla: मूत्र मार्ग में जलन और पथरी के चलते यूरिन रुक-रुक कर आने पर यह दवा दी जाती है।
Lycopodium: यह दवा दाहिनी तरफ की पथरी और गैस की समस्या से राहत देती है।
Hydrangea Arborescens: यह औषधि पथरी को छोटे टुकड़ों में तोड़ने और दर्द कम करने में मदद करती है।
इन सभी दवाओं का सेवन डॉक्टर की सलाह से करना चाहिए और इनकी मात्रा व्यक्ति के लक्षणों के आधार पर तय की जाती है। होम्योपैथिक इलाज धीरे लेकिन स्थायी राहत देने वाला होता है।
पथरी कोई लाइलाज रोग नहीं है। यदि समय रहते इसके लक्षण पहचाने जाएं और उचित उपाय किए जाएं तो बिना सर्जरी के भी इसका इलाज संभव है। आयुर्वेद, घरेलू नुस्खे और होम्योपैथिक चिकित्सा मिलकर इस समस्या से राहत दिला सकते हैं। लेकिन यदि पथरी बहुत बड़ी हो या दर्द असहनीय हो जाए, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी होता है।
नियमित पानी पीना, संतुलित आहार और शरीर की सफाई से इस समस्या को पूरी तरह रोका जा सकता है। एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं और पथरी से हमेशा के लिए छुटकारा पाएं।