गोंडा में बाल्टी और ड्रम लेकर डीजल लूटने के लिए दौड़े लोग।

डीजल टैंकर हादसे की संपूर्ण घटना

3-4 सितंबर 2025 को गोंडा जिले में एक असामान्य घटना ने देशभर का ध्यान आकर्षित किया। नेपाल ऑयल कॉर्पोरेशन का एक डीजल टैंकर गोंडा-बहराइच मार्ग पर कौड़िया थाना क्षेत्र के घुचवापुर गांव के पास अनियंत्रित होकर सड़क किनारे पानी भरे गड्ढे में पलट गया। यह टैंकर गोंडा डीजल डिपो से लगभग 12,500 लीटर डीजल लेकर नेपाल की ओर जा रहा था, जब यह दुर्घटना हुई।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, ड्राइवर ने किसी व्यक्ति या वाहन को बचाने की कोशिश में अचानक मोड़ लिया था, जिसके कारण टैंकर जोरदार आवाज के साथ गड्ढे में जा धंसा। गनीमत की बात यह रही कि हादसे में ड्राइवर और क्लीनर दोनों सुरक्षित बाहर निकल आए और उन्हें कोई गंभीर चोट नहीं आई।

टैंकर पलटते ही उसमें भरा डीजल बहकर पानी से भरे गड्ढे में गिरने लगा। कुछ ही देर में चारों तरफ डीजल की तेज गंध फैल गई। यही गंध सुनकर आसपास के ग्रामीण मौके पर पहुंचने लगे।

लोगों की अफरातफरी और मुफ्त डीजल की लूट

जैसे ही स्थानीय लोगों को "फ्री का तेल" दिखाई दिया, उनकी आंखों में चमक आ गई। एक-एक कर लोग घरों से डिब्बा, बाल्टी और यहां तक कि पुराने ड्रम तक लेकर दौड़ पड़े। सड़क किनारे का नजारा देखते ही बनता था - मानो पूरा गांव एक "मुफ्त पेट्रोल पंप" बन गया हो।

वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि लोग बाल्टियों से पानी और डीजल को अलग करने की कोशिश कर रहे थे। वीडियो में यह भी सुना जा सकता है कि कुछ लोग कह रहे थे, "ये लोग मदद करने नहीं आए, बस सब तेल भरने में लगे हैं"। दृश्य वाकई चौंकाने वाला था - जहां एक ओर हादसा हुआ था, वहीं दूसरी ओर मुफ्त में बहे डीजल को लेकर जश्न जैसा माहौल था।

कई ग्रामीण इस काम में इतने मग्न थे कि पुलिस के आने तक किसी ने सोचा तक नहीं कि यह कितना खतरनाक हो सकता है। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, पुलिस के पहुंचने से पहले लगभग हजारों लीटर डीजल लुट चुका था।

प्रशासनिक हस्तक्षेप और सुरक्षा चुनौतियां

घटना की सूचना मिलते ही आर्यनगर पुलिस चौकी इंचार्ज अरुण द्विवेदी अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने तुरंत क्रेन मंगवाकर टैंकर को बाहर निकलवाने की व्यवस्था की और भीड़ को वहां से हटाने की कोशिश की। हालांकि, तब तक दर्जनों लीटर डीजल ग्रामीण अपने-अपने बर्तनों में समेट चुके थे।

पुलिस अधिकारी अरुण द्विवेदी ने बताया कि ड्राइवर और क्लीनर पूरी तरह सुरक्षित हैं और कोई जनहानि नहीं हुई। टैंकर को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया और पूरे मामले की जांच शुरू की गई।

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इस घटना ने सोशल मीडिया पर तूफान मचा दिया। वीडियो तेजी से वायरल हुआ और लोगों ने तरह-तरह की टिप्पणियां कीं। किसी ने लिखा "मुफ्त का माल कौन छोड़ेगा?", तो किसी ने इसे गरीबी और मजबूरी से जोड़कर देखा। एक यूजर ने मजाक उड़ाते हुए लिखा कि "गोंडा का हर घर अब बना मोबाइल पेट्रोल पंप"।

विशेषज्ञों ने चेताया कि पानी और डीजल को अलग करना आसान नहीं होता। ग्रामीणों द्वारा इकट्ठा किए गए डीजल का उपयोग सीधे गाड़ियों में करने से इंजन खराब हो सकता है और आग लगने का खतरा भी बढ़ सकता है। कई लोगों ने सीधे डीजल के संपर्क में आने को स्वास्थ्य और सुरक्षा दोनों के लिहाज से खतरनाक बताया।

गोंडा डीजल डिपो एक महत्वपूर्ण केंद्र है जहाँ से नेपाल को नियमित रूप से पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति होती है। प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में नेपाल ऑयल के टैंकर गोंडा-बहराइच मार्ग होते हुए नेपाल जाते हैं। यह घटना न केवल तत्काल सुरक्षा चिंताओं को जन्म देती है बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए बेहतर आपातकालीन तैयारी की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है।

इस घटना के बाद प्रशासन के सामने कई सवाल खड़े हो गए हैं कि आखिर इतनी बड़ी मात्रा में डीजल सड़कों पर कैसे बर्बाद हो गया और लोगों ने सुरक्षा नियमों की धज्जियां कैसे उड़ाईं। पुलिस और प्रशासन का कहना है कि भविष्य में ऐसे हादसों से निपटने के लिए सुरक्षा उपायों को और पुख्ता किया जाएगा।

यह घटना मानवीय व्यवहार, सामुदायिक जिम्मेदारी, आपातकालीन प्रबंधन और पर्यावरणीय सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती है, जो आने वाले समय में गंभीर चिंतन और नीतिगत बदलाव की मांग करती है।


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Kuldeep Pandey
Kuldeep Pandey
Content Writer & News Reporter

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