सरकार ने ऑनलाइन गेम खेलने वालों को दिया झटका ,ऑनलाइन गेमिंग बिल: भारत में रियल मनी गेमिंग पर पूर्ण प्रतिबंध

बिल के मुख्य प्रावधान

नया कानून उन सभी ऑनलाइन गेम्स पर प्रतिबंध लगाता है जिनमें उपयोगकर्ता पैसा जमा करके अधिक पैसा जीतने की उम्मीद में खेलते हैं। इसमें ऑनलाइन फैंटेसी स्पोर्ट्स, पोकर, रम्मी जैसे कार्ड गेम्स और ऑनलाइन लॉटरी शामिल हैं।

कानून के तहत ऐसे गेम्स चलाने वालों के लिए तीन साल तक की जेल और एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना निर्धारित किया गया है। रियल मनी गेमिंग के विज्ञापन देने वालों को दो साल की कैद और 50 लाख रुपए तक के जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।

बिल में बैंकों और वित्तीय संस्थानों को भी ऐसे गेम्स के लिए पैसे का लेन-देन करने से रोकने का प्रावधान है। इससे इन प्लेटफॉर्म्स का पूरा व्यापारिक मॉडल ध्वस्त हो जाएगा।

सरकार की चिंताएं और आंकड़े

सरकारी स्रोतों के अनुसार, भारत में लगभग 45 करोड़ लोग हर साल ऑनलाइन गेमिंग में लगभग 20,000 करोड़ रुपए गंवाते हैं। यह आंकड़ा इस समस्या की गंभीरता को दर्शाता है।

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव एस कृष्णन ने बताया कि यह निर्णय "व्यापक सार्वजनिक हित" में लिया गया है। उन्होंने कहा कि नौकरी छूटने की चिंताओं को मनी गेमिंग से होने वाले नुकसान के मुकाबले तौला गया है।

सरकारी रिपोर्ट्स के अनुसार, इन गेम्स की वजह से युवाओं में लत की समस्या, आर्थिक नुकसान और कई बार आत्महत्या के मामले सामने आए हैं। कई सांसदों ने इस मुद्दे पर चिंता जताई थी और सरकार पर कार्रवाई का दबाव बनाया था।

उद्योग पर प्रभाव

यह कानून भारत की 3.8 अरब डॉलर की ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा झटका है। इससे लगभग 1,700 स्टार्टअप्स प्रभावित होंगे जो रियल मनी गेमिंग के क्षेत्र में काम कर रहे हैं।

ड्रीम11, मोबाइल प्रीमियर लीग (MPL), विनजो, जुपी, बाज़ीगेम्स, माई11सर्कल जैसी बड़ी कंपनियां इस कानून से गंभीर रूप से प्रभावित होंगी। ये कंपनियां अरबों रुपए का कारोबार करती हैं और हजारों लोगों को रोजगार देती हैं।

ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (AIGF), ई-गेमिंग फेडरेशन (EGF) और फेडरेशन ऑफ इंडिया फैंटेसी स्पोर्ट्स (FIFS) ने इसे उद्योग के लिए "मौत की घंटी" करार दिया है। इन संगठनों का कहना है कि इससे लगभग 2 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियां जा सकती हैं।

ई-स्पोर्ट्स को छूट

हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स पर यह प्रतिबंध लागू नहीं होगा। ये गेम्स सब्स्क्रिप्शन आधारित मॉडल से चल सकते हैं लेकिन इनमें पैसे की वापसी का वादा नहीं हो सकता।

सरकारी स्रोतों का कहना है कि ई-स्पोर्ट्स को कानूनी मान्यता देने और इसे बढ़ावा देने के लिए फंड आवंटित करने की योजना है। ई-स्पोर्ट्स ऑनलाइन गेमिंग उद्योग का दो-तिहाई हिस्सा है और इससे रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।

ई-स्पोर्ट्स का मतलब टूर्नामेंट या लीग फॉर्मेट में संगठित और प्रतिस्पर्धी गेमिंग से है जहां खिलाड़ी पुरस्कार राशि के लिए खेलते हैं। यह पारंपरिक खेलों की तरह ही एक वैध खेल गतिविधि मानी जाती है।

विपक्ष का विरोध

संसद में इस बिल को पेश करने के दौरान विपक्षी दलों ने जमकर विरोध किया। विपक्ष का कहना था कि यह निर्णय जल्दबाजी में लिया गया है और इसके दूरगामी परिणामों पर पूरी तरह विचार नहीं किया गया है।

विपक्षी सदस्यों ने उद्योग पर पड़ने वाले प्रभाव और नौकरी जाने की समस्या पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि सरकार को पूर्ण प्रतिबंध की बजाय नियंत्रण और निगरानी का रास्ता अपनाना चाहिए था।

नियामक ढांचा

नए कानून के तहत एक राष्ट्रीय स्तर का "ऑनलाइन गेमिंग अथॉरिटी" स्थापित किया जाएगा जो डिजिटल गेमिंग को नियंत्रित करेगी। यह संस्था गेम्स को वर्गीकृत करेगी, उन्हें रजिस्टर करेगी और यह तय करेगी कि कौन से गेम्स "मनी गेम्स" की श्रेणी में आते हैं।

यह अथॉरिटी नागरिकों की शिकायतों को भी हल करेगी और उद्योग की समस्याओं का समाधान करने में मदद करेगी। अब तक ऑनलाइन गेमिंग उद्योग में स्व-नियंत्रण संस्थाएं काम करती थीं।

कंपनियों को अपनी कानूनी स्थिति सुनिश्चित करने के लिए इस अथॉरिटी के पास आवेदन करना होगा। यह एक केंद्रीकृत व्यवस्था होगी जो पूरे देश में लागू होगी।

उद्योग की प्रतिक्रिया

गेमिंग उद्योग के हितधारकों का कहना है कि रियल मनी गेमिंग पर प्रतिबंध से लोग अवैध "मटका" नेटवर्क, ऑफशोर जुआ वेबसाइटों और फ्लाई-बाई-नाइट ऑपरेटर्स के हाथों में चले जाएंगे।

BTG अद्वया लॉ फर्म के पार्टनर विक्रम जीत सिंह का कहना है कि RMG पर प्रतिबंध से गेमिंग क्षेत्र में काम करने वाले लोगों पर प्रभाव पड़ सकता है। पहले गेमिंग कंपनियों पर 28% GST लगाया जाता था, लेकिन अब यह बिल नियंत्रण से प्रतिबंध की ओर बढ़ने का संकेत देता है।

उद्योग संघों का कहना है कि प्रतिबंध लगाने के बजाय सरकार को लोगों की सुरक्षा करनी चाहिए थी। उनका तर्क है कि वैध कंपनियां कम से कम सुरक्षा उपाय अपनाती हैं और सरकार को टैक्स देती हैं, जबकि अवैध संस्थाएं ऐसा नहीं करतीं।

भविष्य की संभावनाएं

यह कानून भारत में ऑनलाइन गेमिंग के परिदृश्य को पूरी तरह बदल देगा। ई-स्पोर्ट्स और स्किल-बेस्ड गेम्स को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जबकि मनी गेमिंग का युग समाप्त हो जाएगा।

सरकार की योजना ई-स्पोर्ट्स को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने की है, जिससे भारतीय खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपना परचम लहरा सकें। यह क्षेत्र भविष्य में रोजगार के नए अवसर पैदा कर सकता है।

लंबे समय में यह कानून जुआ और लत की समस्या को कम कर सकता है, लेकिन इसके तत्काल आर्थिक प्रभाव गंभीर होंगे। उद्योग को नए मॉडल खोजने होंगे और हजारों लोगों को नए रोजगार की तलाश करनी पड़ेगी।

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Kuldeep Pandey
Kuldeep Pandey
Content Writer & News Reporter

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