मुंबई में भीषण तबाही: गाड़ियों के बाद अब जहाज भी डूबे, पूरा शहर संकट में

मुंबई में मौसम का कहर: बेमौसम बारिश से शहर अस्त-व्यस्त

बीते कुछ दिनों में मुंबई और आसपास के क्षेत्रों में रिकॉर्डतोड़ बारिश देखने को मिली। अरब सागर में उठी संभावित उभरी लहरों और बेमौसम तूफानी बारिश ने मुंबई की लाइफलाइन को पूरी तरह से बाधित कर दिया। केवल सड़कों पर गाड़ियाँ ही नहीं, बल्कि मरीन लाइंस, नरीमन पॉइंट, गेटवे ऑफ इंडिया के पास खड़े सैकड़ों छोटे-बड़े जहाज और बोट्स भी पानी में समा गए।

शहर में पानी के तेज बहाव और भारी हाई टाइड के चलते पार्किंग स्थल, अंडरपास, रेलवे ट्रैक, बस डिपो और शिपिंग टर्मिनल तक जलमग्न हो गए। भारी ट्रैफिक जाम, स्टेशन बंद, हवाई अड्डे पर फ्लाइट्स कैन्सिल और जनजीवन पूरी तरह से ठहर गया।


गाड़ियाँ डूबने से हुई भारी क्षति

मुंबई की सड़कों पर खड़ी हजारों गाड़ियाँ – टैक्सी, प्राइवेट कार, ऑटो, यहां तक कि बेस्ट की बसें भी तूफानी बारिश और पानी के बहाव में बह गईं या डूब गईं। कई इलाकों में पार्किंग बेसमेंट पूरी तरह जलमग्न हो गए, जिससे सैकड़ों वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। भारी मात्रा में इंजन फेल, गाड़ियों में फंसे लोग और सड़क से रेस्क्यू किए गए यात्रियों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुईं।

मुंबई पुलिस और बीएमसी की इमरजेंसी टीमों ने लगातार कोशिशें की, मगर पानी के बहाव और सड़क पर मलबे के कारण राहत कार्यों में बाधाएं आईं। बीमा कंपनियों के पास हजारों दावों की बाढ़ आ गई है।


अब समुद्र में डूबे जहाज: मरीन मार्ग बने संकट स्थल

आमतौर पर अपने लहराते किनारों और खूबसूरत मरीन ड्राइव के लिए मशहूर मुंबई का समुद्री तटीय इलाका अब खतरनाक खबरों में है। बारिश के दबाव और समुद्र में उठी तेज लहरों के कारण कई मालवाहक छोटे जहाज, यात्री बोट, निजी यॉट तथा स्टीमर पूर्णतः या आंशिक रूप से डूब गए।

मरीन लाइंस, कोलाबा, गेटवे ऑफ इंडिया के आसपास खड़ी बोट्स—जिनमें कुछ टूरिस्ट क्रूज़ भी थीं—पानी के प्रचंड बहाव में लहरों की चपेट में आ गईं। बंदरगाह में खड़े छोटे जहाज अपने एंकर से छूटकर बह गए या आपस में टकरा गए, जिससे भारी क्षति हुई। कुछ जहाज किनारे जाकर फंस गए, जिनमें तेल रिसाव (oil spill) होने का खतरा भी है।

शहर के कई मछुआरों की नावें और लंबे समय से समुद्र में खड़े ट्रॉलर भी लहरों में बह गए। बंदरगाहों और डॉक एरिया में जलस्तर सामान्य से कई गुना ऊंचा था, जिससे ऑपरेशनल शिप्स को बंद करना पड़ा और लॉजिस्टिक्स पर असर पड़ा। अरब सागर में आने-जाने वाले जहाजों को चेतावनी जारी की गई।


जान-माल का नुकसान और रेस्क्यू ऑपरेशन

मुंबई में इस भीषण संकट के चलते सैकड़ों लोगों के लापता होने या फँसने की खबरें आईं हैं। कई जलपोतों के डूबने से उन पर सवार क्रू के सदस्य एवं मछुआरे समुद्र में फँस गए, जिनकी तलाश के लिए समुद्री सुरक्षा बल, नेवी और कोस्ट गार्ड की टीमें लगाई गई हैं।

भारतीय नौसेना, कोस्ट गार्ड और NDRF की संयुक्त टीमें समुद्र में फंसी नावों व जहाजों की तलाश में जुटी हैं। बचाव हेलीकॉप्टर, स्पीडबोट और लाइफ गार्ड्स को कई बार तूफानी हवाओं और छींटे की वजह से ऑपरेशन रोकना पड़ा, जिससे तलाश और रेस्क्यू में देरी हुई।

बीएमसी एवं रेस्क्यू टीमों ने निचले क्षेत्रों से सैकड़ों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया। तटीय गांवों में राहत शिविर तैयार किए गए हैं। अस्पतालों में संख्याबल बढ़ाकर इमरजेंसी वार्ड संचालन सुनिश्चित किया गया है।


पहली बार इतने खराब हालात: जलवायु परिवर्तन की चेतावनी

मुंबई को हर साल मॉनसून में भारी बारिश और बाढ़ का सामना करना पड़ता है, मगर 2025 की यह घटना अभूतपूर्व है। पर्यावरण विशेषज्ञ साफ कह रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन, समुद्र के बढ़ते स्तर और अव्यवस्थित शहरीकरण ने संकट को और विकराल बना दिया है।

अधिकांश नाले अवरुद्ध होने, अनियंत्रित निर्माण कार्यों और प्लास्टिक कचरे की वजह से पानी की निकासी नामुमकिन रही। तूफानी हवाओं और तेज ज्वार ने समुद्री किनारों की बस्तियों को बुरी तरह प्रभावित किया।


प्रशासन, सुरक्षा और सरकार की चिंता

बीएमसी ने आपातकालीन हेल्पलाइन जारी की है। मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री ऑफिस ने नियंत्रण कक्ष स्थापित कर हालात की 24 घंटे निगरानी शुरू की है। नौसेना को अलर्ट मोड़ पर रखा गया है। रेलवे, हवाई अड्डा प्राधिकरण, ट्रांसपोर्ट विभाग और स्वास्थ्य मंत्रालय सब मिलकर काम कर रहे हैं।

इंस्योरेंस कंपनियों, ऑटोमोबाइल सेक्टर और शिपिंग इंडस्ट्री में आर्थिक क्षति के आंकड़ों का आकलन किया जा रहा है, जो निकट भविष्य में मुंबई की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डालेगा। सरकार ने रिहायशी इलाकों में पानी निकालने और जहाजों की तलाश-पहचान के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग शुरू कर दिया है।


आम लोगों और भविष्य के लिए सबक

इस आपदा ने एक बार फिर दिखा दिया है कि जलवायु अनुकूलन और शहरी योजनाओं पर पुनर्विचार करना जरूरी है। समुद्र के किनारे बसे शहरों को विशेष अलर्ट और नए इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देना होगा। नागरिकों को भी चेताया गया है कि आपदा के समय अफवाहों पर ध्यान न दें और बचाव टीमों से सहयोग करें।

मुंबई एक बार फिर जीवन की जिजीविषा और टीम स्पिरिट के बल पर आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है, लेकिन यह संकट इंसान, प्रकृति और सिस्टम—तीनों के लिए चेतावनी का संकेत है।


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Kuldeep Pandey
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