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1. इलेक्ट्रिक बाइक्स का बढ़ता दबदबा
पिछले कुछ सालों में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर मार्केट ने अप्रत्याशित गति पकड़ी है। Ola Electric, Ather Energy, TVS iQube, Hero Electric जैसे ब्रांड हर महीने नए और एडवांस्ड मॉडल लॉन्च कर रहे हैं।
शहरों में ईंधन की कीमतें बढ़ने और सरकार की EV सब्सिडी योजनाओं के कारण लोग इलेक्ट्रिक बाइक्स और स्कूटर्स की तरफ ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं।
2025 से 2030 के बीच उम्मीद है कि मेट्रो और टियर-1 शहरों में EV बाइक्स का शेयर 60% से ज्यादा हो सकता है।
इसके अलावा, बैटरी टेक्नोलॉजी में भी तेज़ी से सुधार हो रहा है, जिससे EV की रेंज और चार्जिंग स्पीड बेहतर हो रही है। कंपनियां अब 100–150 किमी रेंज वाली बाइक्स को किफायती दाम पर उपलब्ध करा रही हैं, जिससे पेट्रोल बाइक्स का विकल्प चुनना और भी आसान हो रहा है।
2. सरकारी नीतियां और कड़े नियम
भारत सरकार ने ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए BS6 और आने वाले BS7 जैसे सख्त एमिशन नॉर्म्स लागू किए हैं।
इसके अलावा, कई देशों ने 2030 या 2035 तक पेट्रोल और डीजल वाहनों की बिक्री बंद करने का लक्ष्य रखा है।
भारत में भी "EV30@30" योजना के तहत 2030 तक 30% गाड़ियों को इलेक्ट्रिक बनाने का टारगेट है।
सरकार चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, बैटरी स्वैपिंग स्टेशन्स और EV मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए टैक्स छूट और लोन सुविधाएं दे रही है।
साथ ही, राज्यों में भी अलग-अलग EV पॉलिसी लागू की जा रही हैं, जिसमें रोड टैक्स माफ, पंजीकरण शुल्क (Registration Fee) में छूट और स्क्रैप पॉलिसी के तहत पुराने पेट्रोल वाहनों को बदलने पर अतिरिक्त लाभ दिया जा रहा है।
3. क्यों पेट्रोल बाइक्स अभी भी खत्म नहीं होंगी
भले ही EV ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन कुछ चुनौतियां पेट्रोल बाइक्स को पूरी तरह खत्म होने से रोकेंगी।
चार्जिंग नेटवर्क की कमी – ग्रामीण इलाकों और छोटे कस्बों में चार्जिंग पॉइंट अभी बहुत कम हैं।
बैटरी की कीमत और लाइफ – EV बाइक्स की बैटरी बदलना महंगा है और इसकी परफॉर्मेंस समय के साथ घट सकती है।
रेंज और पावर लिमिटेशन – लंबी दूरी तय करने वालों के लिए पेट्रोल इंजन अभी भी ज्यादा भरोसेमंद है।
मेंटेनेंस और रिपेयर की आसान सुविधा – छोटे मैकेनिक शॉप्स में पेट्रोल बाइक्स की रिपेयर आसानी से हो जाती है।
इसके अलावा, कई लोग अब भी पेट्रोल इंजन की आवाज़, पिकअप और राइडिंग फील को प्राथमिकता देते हैं। टूरिंग और ऑफ-रोडिंग के शौकीन राइडर्स के लिए फिलहाल EV उतना दमदार विकल्प नहीं बन पाया है, जिससे यह सेगमेंट पेट्रोल इंजन पर टिका रहेगा।
4. अगले 10 सालों का अनुमानित परिदृश्य
अगर टेक्नोलॉजी और इंफ्रास्ट्रक्चर की ग्रोथ इसी रफ्तार से जारी रही, तो 2035 तक भारत में यह तस्वीर हो सकती है:
शहरों में EV का दबदबा – डेली कम्यूट और डिलीवरी सेक्टर में EV बाइक्स लगभग पूरी तरह से पेट्रोल बाइक्स की जगह ले लेंगी।
ग्रामीण इलाकों में पेट्रोल बाइक्स का दबदबा जारी – चार्जिंग सुविधा और बैटरी कॉस्ट के कारण EV की पैठ धीरे-धीरे बढ़ेगी।
स्पोर्ट्स और टूरिंग बाइक्स में पेट्रोल का अस्तित्व – हाई परफॉर्मेंस और एडवेंचर राइड्स के लिए पेट्रोल इंजन अगले 15-20 साल भी रह सकते हैं।
साथ ही, हाइब्रिड टेक्नोलॉजी वाली बाइक्स भी मार्केट में आ सकती हैं, जो पेट्रोल और इलेक्ट्रिक दोनों मोड में चलेंगी। इससे ट्रांजिशन पीरियड और लंबा हो सकता है, और पूरी तरह पेट्रोल बाइक्स खत्म होने की संभावना और भी कम हो जाएगी।
5. नतीजा – EV और पेट्रोल बाइक्स का संतुलित भविष्य
आने वाले 10 सालों में पेट्रोल बाइक्स पूरी तरह खत्म नहीं होंगी, लेकिन इनकी हिस्सेदारी कम हो जाएगी।
EV बाइक्स का बाजार बढ़ेगा और सरकार भी इसे सपोर्ट करती रहेगी।
संभावना है कि 2030 तक शहरी क्षेत्रों में पेट्रोल बाइक्स सिर्फ स्पोर्ट्स, प्रीमियम और खास जरूरतों वाले सेगमेंट में ही दिखाई दें।
दूसरी तरफ, ग्रामीण इलाकों में पेट्रोल बाइक्स का इस्तेमाल अभी लंबे समय तक जारी रहेगा।
निष्कर्ष यह है कि आने वाले दशक में हमें दोनों तरह की बाइक्स साथ-साथ देखने को मिलेंगी, और राइडर्स के पास अपने बजट, जरूरत और सुविधा के हिसाब से विकल्प मौजूद रहेंगे।