भगवान श्रीकृष्ण द्वारा लगाया गया पारिजात वृक्ष: स्वर्ग से धरती तक का चमत्कार

क्या है पारिजात का वृक्ष?

पारिजात का वृक्ष, जिसे हरसिंगार या नाइट जैस्मिन भी कहा जाता है, एक अद्भुत और सुगंधित फूलों वाला पेड़ है। इसके फूल सफेद रंग के होते हैं और डंठल नारंगी रंग की होती है, जो इसे अन्य फूलों से अलग बनाती है। यह वृक्ष आमतौर पर रात में खिलता है और सुबह होते ही इसके फूल झर जाते हैं। पारिजात का वैज्ञानिक नाम Nyctanthes arbor-tristis है और यह भारत के कई भागों में पाया जाता है। इसकी ऊँचाई ज्यादा नहीं होती लेकिन इसके धार्मिक, औषधीय और पर्यावरणीय महत्व के कारण इसे अत्यंत पूजनीय माना गया है।

धार्मिक मान्यताएं: देवताओं का फूल

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, पारिजात का जन्म समुद्र मंथन के समय हुआ था और यह स्वर्ग का पुष्प कहलाता है। यह फूल इतना पवित्र माना जाता है कि भगवान इंद्र ने इसे अपने उद्यान में लगाया था। किंवदंती के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने इस वृक्ष को स्वर्ग से लाकर अपनी पत्नी रुक्मिणी के बाग में लगाया था, जो कि उत्तर प्रदेश के बरौली (कल्याणी) गांव में स्थित है। आज भी यह पारिजात का वृक्ष वहीं स्थित है और श्रद्धालु दूर-दूर से इसकी पूजा करने आते हैं। इसकी छाया में बैठना, इसके फूलों को भगवान को अर्पित करना अत्यंत शुभ और पुण्यदायक माना जाता है।

औषधीय गुण: आयुर्वेद का खजाना

पारिजात सिर्फ एक सुंदर वृक्ष नहीं है, बल्कि आयुर्वेद में इसे औषधीय गुणों की खान कहा गया है। इसके पत्तों से बनी चाय बुखार, जोड़ों के दर्द, और डायबिटीज में लाभकारी मानी जाती है। इसके फूलों का उपयोग त्वचा के रोगों, बालों की समस्या और आंखों की जलन के इलाज में भी होता है। पारिजात की छाल और बीज से बनी दवाएं शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करती हैं। इसके तेल का प्रयोग सिरदर्द और मानसिक तनाव से राहत पाने के लिए किया जाता है। यह एक नैचुरल इम्यून बूस्टर है जिसे आयुर्वेदिक चिकित्सा में कई बीमारियों के लिए उपयोग में लाया जाता है।

वातावरण के लिए वरदान

पारिजात का वृक्ष न सिर्फ धार्मिक और औषधीय रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। यह पेड़ दिन और रात दोनों समय ऑक्सीजन छोड़ता है, जिससे वातावरण शुद्ध रहता है। इसकी जड़ें मिट्टी को मजबूती देती हैं और भूमि कटाव को रोकती हैं, जिससे यह भूमि की उर्वरता बनाए रखने में सहायक होता है। यह मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है, इसलिए इसे घरों के पास या मंदिरों के समीप लगाना शुभ होता है। इसकी उपस्थिति से वातावरण में सुकून और सौंदर्य दोनों का संचार होता है।

पारिजात से जुड़ी रोचक बातें

पारिजात का फूल सूरज निकलते ही मुरझा जाता है, इसलिए इसे कई बार "दुखी फूल" भी कहा जाता है। इसे संस्कृत में 'शेफालिका' और बंगाली में 'शिउली' कहा जाता है। यह वृक्ष बहुत दीर्घायु होता है और 100 वर्ष या उससे अधिक समय तक जीवित रह सकता है। इसके फूल मुख्य रूप से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को अर्पित किए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि पारिजात वृक्ष के नीचे ध्यान करने से मानसिक शांति, एकाग्रता और आंतरिक ऊर्जा में वृद्धि होती है। इसके फूल जब ज़मीन पर गिरते हैं, तब भी उन्हें मंदिरों में चढ़ाया जा सकता है, क्योंकि वे पृथ्वी को नहीं बल्कि स्वयं गिरते हैं।

पारिजात का वृक्ष सिर्फ एक पेड़ नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभूति है। यह प्रकृति और धर्म का सुंदर संगम है, जो हमें यह सिखाता है कि सुंदरता, उपयोगिता और आस्था जब मिलते हैं तो एक चमत्कार बनता है।

Saumya Tiwari
Saumya Tiwari
Content Writer & News Reporter

I’m a passionate writer who loves exploring ideas, sharing stories, and connecting with readers through meaningful content.I’m dedicated to sharing insights and stories that make readers think, feel, and discover something new.