भारत के सामने अमेरिकी स्ट्रैटेजी फेल: ट्रम्प के कॉल्स दूर – क्यों नहीं उठा रहे PM मोदी?

ट्रंप प्रशासन की आक्रामक नीति – टैरिफ की मार

अमेरिका ने "अमेरिका फर्स्ट" नीति के तहत भारत के वस्त्र, रेडीमेड गारमेंट, गहने, सीफूड, कालीन, फर्नीचर और कई अन्य श्रम प्रधान उत्पादों पर जुलाई से 25% और अगस्त अंत में अतिरिक्त 25% यानी कुल 50% टैरिफ लागू कर दिए।
इस कदम का सीधा असर भारतीय निर्यात पर पड़ा – 70% एक्सपोर्ट पर चोट और 60.2 अरब डॉलर का अनुमानित नुकसान। तिरुपुर, पंजाब गारमेंट इंडस्ट्री, नोएडा, ज्वैलरी सेक्टर, और झींगा समेत लाखों भारतीय कुटीर उद्योग इस झटके से प्रभावित हैं.

अमेरिका का तर्क था – व्यापार घाटा कम करना, घरेलू कंपनियों को प्रतिस्पर्धा में मौका देना और खासतौर पर भारत के रूस से सस्ते तेल, रक्षा सौदों तथा डॉलर बाइपासिंग व्यवहार पर लगाम लगाना.


अमेरिकी दबाव: मोदी को बार–बार कॉल

ट्रंप प्रशासन ने सार्वजनिक तौर पर दो महीने में कई बार PM मोदी को बात के लिए बुलाया।

  • औपचारिक बयान जारी हुए – "हम भारत से समाधान चाहते हैं, उम्मीद है पीएम मोदी व्यक्तिगत संवाद करेंगे।"

  • ट्रंप का डिप्लोमेसी स्टाइल, सीधा-सीधा डील या ‘शो ऑफ’ कर देना, भारत को मंजूर नहीं।

  • पीएम मोदी, विदेश मंत्रालय और व्यापार सलाहकारों ने राष्ट्रपति ट्रंप की कॉल्स को या तो टाल दिया या औपचारिक रूप से नजरअंदाज कर दिया.


भारत का रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक

भारत ने इस संकट से पहले ही दो अहम क़दम उठाए:

  1. रक्षा सहयोग: अमेरिका के दबाव से ठीक 48 घंटे पहले एक 10 साल की डिफेंस पार्टनरशिप फ्रेमवर्क डील की घोषणा ताकि भारत–अमेरिका सैन्य, तकनीकी, इंटेलिजेंस साझा निरंतर चलता रहे और चीन/पाकिस्तान के खिलाफ संतुलन बना रहे.

  2. रूस व अन्य बाजारों से तेल/माल की डील और डॉलर से बाइपासिंग: अमेरिका के टैरिफ से बचने के लिए भारत ने रूस, मिडिल ईस्ट, यूरोप, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में बिक्री बढ़ाई।

भारत ने अमेरिकी टैरिफ के झटके को न सिर्फ झेला, बल्कि अपने सुपरपावर स्टेटस को आगे निकालने की दिशा में कूटनीतिक, रणनीतिक और आर्थिक जवाब दिया.


आर्थिक व घरेलू नीति – भारत की प्रबुद्धता

  • सरकार ने प्रभावित उद्योगों की सहायता के लिए बजट राहत, टेक्निकल अपग्रेडेशन और घरेलू निर्यात बाजारों और नए संभावनाओं का अभियान शुरू किया.

  • दवा, इलेक्ट्रॉनिक्स, पेट्रोलियम और इंफॉर्मेशन टेक सेक्टर को टैरिफ मुक्त रखा गया, जिससे कुल निर्यात में फिलहाल 30% सुरक्षित रहा।

  • सरकार ने अमेरिका के अल्टीमेटम (दवा सेक्टर में दो साल में नो-इंडिया प्रोडक्शन पर 200% टैरिफ) का भी स्पष्ट विरोध दर्ज किया.


वैश्विक विशेषज्ञों की राय – ‘भारत जवाब देना जानता है’

पॉलिसी थिंक टैंक्स, ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव और जर्मन इंस्टीट्यूट के अनुसार भारत ने दबाव और टैरिफ के बावजूद अमेरिका की रणनीति को कमजोर किया।

  • भारत ने US Dollar की निर्भरता तेजी से घटाई

  • इंडो-पैसिफिक नीति में अमेरिका के एकतरफा रोल को संतुलित किया

  • नए मार्केट, नई क्रयशक्ति और डिजिटल इंडिया जैसे अभियान से एक्सपोर्ट डाइवर्सिफाई किये

यह ‘भारत एक सशक्त पोलिटिकल प्लेयर’ बनने और कूटनीति में “रिक्त जगहें” नहीं छोड़ने का प्रमाण है।


ट्रंप की कॉल्स क्यों नहीं उठा रहे पीएम मोदी?

  1. स्वतंत्र नीति की घोषणा: भारत ने स्पष्ट किया कि वह घरेलू हितों और सम्मान के आधार पर ही कूटनीति करेगा।

  2. आशंका कि ट्रंप बिना ठोस नीति के अचानक समझौता थोप सकते हैं

  3. भारत व्यापार संकट के बीच बातचीत में दबाव नहीं लेना चाहता

  4. ट्रंप की कमजोरी कि वे व्यक्तिगत रिश्तों के सहारे रणनीतिक सौदे बनाना चाहते हैं – भारत सधा है

  5. पाकिस्तान/चीन के साथ अमेरिका के मजबूत संबंध भारत के लिए चिंता की वजह

अर्थशास्त्री कहते हैं कि भारत की ‘धैर्य नीति’ से अमेरिका को अपने स्ट्रैटेजी रिवाइज करनी होगी।


PM Modi Trump callsIndia-US trade breakdown50% tariffsModi refusalsdiplomatic cold strategyIndia strategic autonomy
Kuldeep Pandey
Kuldeep Pandey
Content Writer & News Reporter

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