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नामांकन रद्द होते ही टूटी श्वेता सुमन — भावनाओं का सैलाब और सियासी भूचाल
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की हलचल के बीच शुक्रवार को एक ऐसी घटना सामने आई जिसने पूरे राज्य की राजनीतिक चर्चा का रुख बदल दिया। कैमूर जिले की मोहनिया विधानसभा सीट से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की उम्मीदवार श्वेता सुमन का नामांकन रद्द कर दिया गया।
निर्वाचन आयोग ने यह कदम यह कहते हुए उठाया कि श्वेता सुमन का स्थायी निवास उत्तर प्रदेश में है, इसलिए वे इस क्षेत्र से चुनाव लड़ने की पात्र नहीं हैं।
जैसे ही यह खबर बाहर आई, कैमूर जिले के मोहनिया में RJD कार्यकर्ताओं में गहरा असंतोष फैल गया। वहीं, खुद श्वेता सुमन मीडिया से बात करते हुए फूट-फूटकर रो पड़ीं। उन्होंने कहा,
“मैं पिछले 20 सालों से बिहार में रह रही हूं, यहीं काम कर रही हूं, और यहीं की जनता मुझे अपनी बेटी कहती है। फिर भी मेरा नामांकन रद्द कर दिया गया। यह सीधा अन्याय है।”
उनके आंसुओं से भरा यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। समर्थकों ने कहा कि यह सिर्फ एक उम्मीदवार का नहीं बल्कि “जनता की आवाज़ को दबाने” का मामला है।
इस घटना ने बिहार के चुनावी माहौल में हलचल मचा दी है। जहां RJD इसे “राजनीतिक साज़िश” बता रही है, वहीं विपक्ष इसे “नियमों का पालन” कह रहा है।

राजद ने कहा– ‘राजनीतिक दबाव में रद्द हुआ नामांकन’, BJP ने किया पलटवार
RJD नेताओं ने दावा किया कि श्वेता सुमन का नामांकन जानबूझकर दबाव में रद्द किया गया है। पार्टी प्रवक्ता ने कहा,
“यह स्पष्ट रूप से राजनीतिक हस्तक्षेप का मामला है। चुनाव आयोग पर BJP ने दबाव बनाया और एक लोकप्रिय महिला प्रत्याशी को मैदान से बाहर कर दिया गया।”
RJD ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया है। पार्टी ने चुनाव आयोग से पुनर्विचार की मांग करते हुए अपील दायर करने की घोषणा की है।
दूसरी ओर, BJP नेताओं ने इस आरोप को सिरे से खारिज किया। भाजपा प्रवक्ता ने कहा,
“श्वेता सुमन का नामांकन रद्द हुआ क्योंकि उन्होंने नियमों के अनुसार आवश्यक दस्तावेज़ प्रस्तुत नहीं किए। यह कोई राजनीतिक साज़िश नहीं, बल्कि कानून का पालन है।”
वहीं, राजनीतिक विश्लेषक इस घटना को चुनावी रणनीति के एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देख रहे हैं। मोहनिया सीट 2020 में RJD के लिए कमजोर साबित हुई थी, लेकिन इस बार श्वेता सुमन को स्थानीय स्तर पर मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा था।
उनकी लोकप्रियता खासकर महिलाओं और युवा मतदाताओं के बीच तेजी से बढ़ रही थी।
अब यह घटना RJD के लिए न केवल रणनीतिक झटका है, बल्कि चुनाव प्रचार की दिशा भी बदल सकती है।

कानूनी पेंच या सियासी चाल — क्यों रद्द हुआ नामांकन
निर्वाचन अधिकारियों ने आधिकारिक बयान में बताया कि श्वेता सुमन का नामांकन “निवास प्रमाणपत्र” की कमी के कारण रद्द किया गया। दस्तावेज़ों की जांच के दौरान यह पाया गया कि उनका स्थायी पता उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में है।
हालांकि, श्वेता सुमन ने इसका विरोध करते हुए कहा कि वे पिछले दो दशकों से बिहार में रहती हैं, यहां उनका परिवार और कार्यस्थल है, इसलिए वे कानूनी रूप से बिहार की निवासी हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि जांच प्रक्रिया पक्षपातपूर्ण तरीके से की गई।
“जब अन्य प्रत्याशियों को दस्तावेज़ पूरा करने का मौका दिया गया, तो मुझे क्यों नहीं दिया गया? मेरे साथ भेदभाव हुआ है,” उन्होंने कहा।
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, अगर श्वेता सुमन अपनी निवास पात्रता का पर्याप्त प्रमाण प्रस्तुत कर पातीं, तो उनका नामांकन बरकरार रह सकता था। अब उनके पास दो विकल्प हैं —
चुनाव आयोग में पुनर्विचार याचिका
उच्च न्यायालय में अपील
कानूनी दृष्टि से, निर्वाचन अधिकारी का निर्णय अंतिम होता है, लेकिन अपील की गुंजाइश रहती है।
राजनीतिक गलियारों में यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या यह पूरा मामला सिर्फ नियमों का पालन था या फिर किसी दबाव का परिणाम।
कुछ रिपोर्टों के अनुसार, मोहनिया सीट पर RJD की जीत की संभावना देखकर विपक्षी दलों में चिंता थी। ऐसे में, नामांकन रद्द होने से विपक्षी खेमे में राहत की लहर देखी गई।
वहीं, श्वेता सुमन ने इस घटना को “साजिश” करार देते हुए कहा,
“अगर महिला होने के कारण मुझे निशाना बनाया गया है, तो मैं इसे अदालत में चुनौती दूंगी। मेरी लड़ाई अब न्याय के लिए है।”
राजनीतिक प्रभाव और जनता की प्रतिक्रिया
इस घटनाक्रम ने बिहार की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। सोशल मीडिया पर “#JusticeForShwetaSuman” ट्रेंड कर रहा है।
RJD समर्थक कह रहे हैं कि यह “महिला सशक्तिकरण की आवाज़ को दबाने की कोशिश” है। वहीं, कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि अगर नियम तोड़े गए हैं, तो सजा मिलनी चाहिए।
ग्रामीण इलाकों में भी इस खबर का असर देखने को मिला। कई जगहों पर महिलाओं ने श्वेता सुमन के समर्थन में रैलियां कीं।
मोहनिया क्षेत्र की स्थानीय महिला ने कहा,
“वो हम सबकी बहन जैसी हैं, जनता ने उन्हें चाहा था। अगर पर्चा रद्द हुआ, तो हम खुद मैदान में उतरेंगे।”
राजद नेतृत्व ने श्वेता सुमन को “पार्टी की बेटी” बताते हुए कहा कि वे उनके साथ खड़े रहेंगे, चाहे उन्हें चुनाव लड़ने का मौका मिले या नहीं।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह घटना महिला राजनीति, युवा नेतृत्व और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व जैसे मुद्दों को फिर से केंद्र में ले आई है।
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