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भारत के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला आज अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से अनडॉक होकर धरती पर लौट रहे हैं। इस ऐतिहासिक मिशन में उन्होंने माइक्रोग्रैविटी रिसर्च और भारतीय पेलोड्स पर काम किया। जानें मिशन डिटेल्स, वापसी समय और भविष्य की योजनाएं।
कौन हैं शुभांशु शुक्ला?
शुभांशु शुक्ला भारत के पहले निजी यात्री अंतरिक्ष मिशन में शामिल हुए अंतरिक्ष यात्री हैं। उनका चयन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और भारतीय निजी संस्थानों द्वारा माइक्रोग्रैविटी रिसर्च मिशन के लिए किया गया था। वह भारतीय वायुसेना के पूर्व पायलट और एक अनुभवी एयरोस्पेस इंजीनियर हैं।
मिशन का उद्देश्य
इस मिशन में शुभांशु ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर कई महत्वपूर्ण कार्य किए:
भारतीय पेलोड्स पर माइक्रोग्रैविटी में रिसर्च।
स्पेस मटीरियल्स की टेस्टिंग।
स्पेस फार्मिंग पर प्रोटोटाइप ट्रायल्स।
भारतीय छात्रों द्वारा बनाए गए मिनी-सैटेलाइट्स पर डेटा कलेक्शन।
वापसी की तारीख और विवरण
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, अब 15 जुलाई 2025 को धरती पर लौटेंगे। SpaceX के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट में उनकी स्प्लैशडाउन लैंडिंग कैलिफोर्निया तट के पास भारतीय समयानुसार दोपहर 3:00 बजे होगी।
इस मिशन की खास बातें
पहली बार किसी भारतीय पेलोड पर लाइव डेटा ट्रांसमिशन टेस्ट।
माइक्रोग्रैविटी में भारतीय एग्रो सैंपल्स का टेस्ट।
भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के लिए लंबे समय तक स्पेस में रहने की तैयारी का हिस्सा।
अंतरिक्ष में भारतीय झंडा फहराने का ऐतिहासिक क्षण।
इस मिशन के दौरान शुभांशु शुक्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वीडियो कॉल और इसरो चीफ वी नारायणन से फोन पर बातचीत कर गगनयान मिशन की प्रगति और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा की। 13 जुलाई को आयोजित फेयरवेल सेरेमनी में शुक्ला ने भारत, इसरो और अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा:
"यह मिशन केवल मेरा व्यक्तिगत मील का पत्थर नहीं है, बल्कि यह साबित करता है कि मानवता मिलकर क्या कर सकती है। मुझे उम्मीद है कि हमारा काम भारत और दुनिया भर के युवाओं को सीमाओं से परे सपने देखने के लिए प्रेरित करेगा।"
शुक्ला ने भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा को याद करते हुए कहा, “आज भारत अंतरिक्ष से महत्वाकांक्षी, निडर, आत्मविश्वासी और गौरवान्वित दिखता है। भारत अभी भी सारे जहां से अच्छा है।”
उनकी वापसी के बाद, उन्हें पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में फिर से ढलने के लिए सात दिन की रिहैबिलिटेशन प्रक्रिया से गुजरना होगा। उनके परिवार और पूरा देश इस ऐतिहासिक वापसी का बेसब्री से इंतजार कर रहा है, जो भारत की नई अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं का मार्ग प्रशस्त करेगी।
शुभांशु शुक्ला की यह ऐतिहासिक वापसी भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ती है। उनका यह मिशन न केवल भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान को वैश्विक मंच पर मजबूत बनाता है बल्कि गगनयान और भविष्य के मानव अंतरिक्ष मिशनों के लिए आधार भी तैयार करता है।